Saturday, November 15

1 लाख रुपये किलो! फ्रांस में मिलता है दुनिया का सबसे महंगा आलू, जानिए क्यों है इतना खास

नई दिल्ली—भारत में जहाँ आलू 25 रुपये किलो तक आसानी से मिल जाता है, वहीं दुनिया के कुछ देशों में इसकी कीमत कई गुना अधिक है। आलू को ‘कंप्लीट फूड’ कहा जाता है और यह लगभग हर देश में लोकप्रिय है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे महंगा आलू फ्रांस में पाया जाता है, जिसकी कीमत 1 लाख रुपये प्रति किलो के करीब है?

आसियाई देशों में आलू की कीमतें

भारत में आलू सस्ता जरूर है, लेकिन एशिया के कई देशों में इसकी कीमत काफी अधिक है।

  • दक्षिण कोरिया: लगभग 4.28 डॉलर (≈ 380 रुपये/किलो)
  • जापान: 2.95 डॉलर
  • ताइवान: 2.82 डॉलर
  • हॉन्ग कॉन्ग: 2.61 डॉलर
  • फिलीपींस: 2.46 डॉलर
  • सिंगापुर: 2.28 डॉलर
  • इंडोनेशिया: 1.51 डॉलर
  • थाईलैंड: 1.49 डॉलर
  • वियतनाम: 1.02 डॉलर
  • चीन: 0.98 डॉलर
  • मलेशिया: 0.91 डॉलर

इन देशों में आलू के महंगे होने का कारण मौसम, उत्पादन लागत और आयात पर निर्भरता है।

कौन सा आलू है दुनिया का सबसे महंगा?

दुनिया का सबसे महंगा आलू Le Bonnotte है, जो फ्रांस में मिलता है। इसकी कीमत लगभग 1 लाख रुपये प्रति किलो तक जाती है।

कहाँ उगता है यह आलू?

यह दुर्लभ किस्म फ्रांस के अटलांटिक तट पर स्थित Noirmoutier द्वीप में उगाई जाती है।
यहाँ की मिट्टी समुद्र के नमक और शैवाल (seaweed) से प्राकृतिक रूप से पोषित होती है, जिससे इस आलू का स्वाद बेहद अनोखा बनता है।

क्यों है इतना महंगा?

  • सालाना उत्पादन सिर्फ 100 टन
  • पूरी खेती हाथों से, मशीन का इस्तेमाल नहीं
  • विशेष मिट्टी और समुद्री हवाओं का असर
  • स्वाद बेहद अद्वितीय, हल्की मिठास और क्रीमी टेक्सचर के लिए मशहूर
  • मई–जून में ही उपलब्ध, यानी सीमित समय में बिक्री

Le Bonnotte आलू स्थानीय किसान Benoît Bonotte के नाम पर रखा गया है, जिन्हें इसका पहला उत्पादक माना जाता है।
आकार में यह छोटा और छिलका बहुत पतला होता है। आमतौर पर इसे हल्के उबालकर बटर और नमक के साथ खाया जाता है।

निष्कर्ष

जहाँ भारत में आलू रोजमर्रा की सस्ती सब्जी है, वहीं दुनिया के कुछ हिस्सों में यह लक्जरी फूड की श्रेणी में आता है। फ्रांस का Le Bonnotte आलू अपनी दुर्लभता, अनोखी मिट्टी और हाथों से की जाने वाली खेती की वजह से दुनिया का सबसे महंगा आलू बना हुआ है।

यह आलू न सिर्फ स्वाद में खास है, बल्कि इसकी परंपरागत खेती भी इसे अद्वितीय बनाती है।

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