
नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में स्थापित ‘फांसी घर’ की प्रामाणिकता की जांच के लिए बुलाई गई विशेषाधिकार समिति की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शामिल नहीं हुए। समिति ने अब उनके पक्ष को सुनने का एक और अवसर देते हुए अगली बैठक 20 नवंबर निर्धारित की है।
बैठक में अनुपस्थिति और समिति का रुख
- बैठक का उद्देश्य ‘फांसी घर’ की वास्तविकता का सत्यापन करना था।
- पूर्व उपसभापति राखी बिड़ला और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल भी बैठक में उपस्थित नहीं हुए।
- समिति अध्यक्ष प्रद्युम्न सिंह राजपूत ने कहा कि अनुपस्थित व्यक्तियों से अपेक्षा है कि वे अगली बैठक में उपस्थित होकर अपनी दलील और स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें।
- समिति ने बताया कि यह बैठक जांच को आगे बढ़ाने और निष्पक्ष रिपोर्ट तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण होगी।
केजरीवाल-सिसोदिया का अदालत में रुख
- इस मामले में दोनों नेता पहले ही दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा चुके हैं।
- उनकी दलील है कि नोटिस किसी शिकायत या रिपोर्ट पर आधारित नहीं है और इसका विशेषाधिकार हनन या अवमानना से कोई संबंध नहीं है।
- अदालत ने मंगलवार को उनकी याचिका को प्रथम दृष्टया ‘स्वीकार्य नहीं’ माना।
‘फांसी घर’ की पृष्ठभूमि
- ‘फांसी घर’ का उद्घाटन अगस्त 2022 में विधानसभा परिसर में किया गया था। केजरीवाल मुख्य अतिथि और सिसोदिया उपमुख्यमंत्री के रूप में उपस्थित थे।
- विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने मानसून सत्र में बताया कि तथाकथित ब्रिटिशकालीन ‘फांसी घर’ वास्तव में एक टिफिन रूम था।
- 1912 के नक्शों के अनुसार, कोई ऐसा दस्तावेज या प्रमाण नहीं है जो इस जगह के फांसी के लिए उपयोग होने की पुष्टि करता हो।
आगे की प्रक्रिया
- समिति ने सभी संबंधित पक्षों से अपेक्षा जताई है कि वे अगली बैठक में पूर्ण सहयोग दें।
- बैठक में अनुपस्थित व्यक्तियों के बयान और दस्तावेज विधिवत दर्ज किए जाएंगे ताकि जांच समय पर पूरी हो और निष्पक्ष निष्कर्ष सामने आए।
