
सागर (मध्य प्रदेश)। मध्य प्रदेश में बाघों की गिनती के लिए टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्कों में चल रही गणना अब तक हैरतअंगेज़ नतीजे दे रही है। प्रदेश के सबसे बड़े वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में 9 दिन और 600 वर्ग किलोमीटर के फील्ड सर्वे के बावजूद एक भी बाघ नजर नहीं आया, जबकि सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार यहां 26 बाघ मौजूद हैं।
गणना की प्रक्रिया
वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना 15 नवंबर से शुरू हुई थी। पहले चरण में रिजर्व के 600 वर्ग किलोमीटर के ब्लॉक में सर्वे किया गया। रिजर्व प्रबंधन के अनुसार पूरे 1100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को 550 ग्रिड में बांटकर बाघों की गणना की जाएगी। प्रत्येक ग्रिड 2 वर्ग किलोमीटर का होगा और इसमें दो- दो कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे। पहले चरण में 300 ग्रिड में काम किया गया, जिसमें मोहली, झापन, सिंगपुर और नौरादेही का कुछ हिस्सा शामिल है।
दूसरे चरण की तैयारी
दूसरे ब्लॉक में 250 ग्रिड बनाए गए हैं, जिनमें 15 दिसंबर के बाद सर्वे किया जाएगा। इस ब्लॉक में डोंगरगांव, सर्रा और नौरादेही का बाकी हिस्सा शामिल है। इस दौरान 500 कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे। NTCA की पहली आधुनिक कैमरा ट्रैप आधारित गणना साल 2006 में हुई थी और उसके बाद हर चार साल में बाघों की गणना होती रही।
पुनर्स्थापन परियोजना और बाघों की बढ़ती संख्या
साल 2017-18 में नौरादेही वन्यप्राणी अभयारण्य में बाघ पुनर्स्थापन परियोजना शुरू की गई थी। कान्हा टाइगर रिजर्व से बाघिन ‘राधा’ लायी गई और बाद में दूसरी बाघ ‘किशन’ को भी यहां बसाया गया। सात वर्षों के भीतर बाघ परिवार दो से बढ़कर 26 हो गया है।
विशेषज्ञों की चिंता
सर्वे टीम के अनुसार इतनी बड़ी संख्या में बाघों का दिखाई न देना चिंताजनक है। इसके पीछे जंगल में उनकी छिपकर रहने की आदत, शिकारियों का प्रभाव और कैमरा ट्रैप की सीमित पहुंच जैसी वजहें हो सकती हैं। आगामी दिनों में दूसरे चरण के सर्वे के दौरान बाघों की उपस्थिति मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
यह सर्वे बाघ संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है और रिजर्व प्रबंधन का प्रयास है कि गणना के जरिए बाघों की वास्तविक संख्या का पता लगाया जा सके।