
अयोध्या। 25 नवंबर 2025 को अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा फहराई गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में भाग लिया। यह आयोजन राम मंदिर निर्माण की पूर्णाहुति और समाज में समरसता एवं एकता का प्रतीक बना।
पीएम मोदी ने क्या कहा:
ध्वजारोहण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान राम से जुड़े प्रमुख पात्रों—महर्षि वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज, माता शबरी—का उल्लेख करते हुए सामाजिक एकता और समरसता का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि रामचरित की पूर्णता में सभी पात्रों का योगदान है। महर्षि वशिष्ठ और महर्षि विश्वामित्र ने रामलला के विद्याध्ययन की लीला पूरी कराई, महर्षि अगस्त्य ने वनगमन के समय ज्ञान चर्चाएं कराईं और राक्षसी आतंक के विनाश का मार्ग प्रशस्त किया।
पीएम मोदी ने समरस आदर्श की ओर भी इशारा किया, जिसमें सभी वर्गों और जातियों के प्रति समान व्यवहार का संदेश है। उन्होंने कहा कि भगवान राम की भक्ति में कोई भेदभाव नहीं है और यह ‘सबका साथ, सबका विकास’ के आदर्श से जुड़ा हुआ है।
राजनीतिक संदेश:
इस कार्यक्रम के माध्यम से पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश में पिछड़े और दलित वर्गों के बीच भी संदेश भेजा। महर्षि वाल्मीकि, निषादराज और माता शबरी का जिक्र कर उन्होंने समावेशी विकास और सामाजिक एकता को रेखांकित किया। यह रणनीति सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पिछड़ा-दलित वोट बैंक राजनीति के सीधे जवाब के रूप में भी देखी जा रही है।
इतिहास और राजनीति का संगम:
राम मंदिर निर्माण का शिला पूजन 5 अगस्त 2020 को हुआ था। 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया गया। अब 25 नवंबर 2025 को पूर्णाहुति के साथ ध्वजारोहण समारोह ने मंदिर निर्माण के ऐतिहासिक अभियान को सफलतापूर्वक पूर्ण किया।
इस कार्यक्रम ने धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक और राजनीतिक समरसता का भी प्रतीक प्रस्तुत किया, जिससे अयोध्या और उत्तर प्रदेश में एकता और विकास का संदेश फैलता दिखा।