Tuesday, November 25

देश के बच्चे डिजिटल खाई में फँस रहे हैं: मोबाइल गेमिंग और इंटरनेट एडिक्शन नया ‘साइलेंट पैंडेमिक’

उज्जैन। आज के समय में बच्चे तेजी से डिजिटल दुनिया में उलझते जा रहे हैं। मोबाइल गेमिंग और इंटरनेट एडिक्शन अब एक नए साइलेंट पैंडेमिक के रूप में उभर रहा है, जो बच्चों के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है।

मुख्य कारण
बच्चों में डिजिटल लत के कई कारण हैं। ऑनलाइन गेम खेलने की आदत, मोबाइल और इंटरनेट की आसान उपलब्धता, माता-पिता का व्यस्त रहना, पढ़ाई और प्रतियोगिता का दबाव, तथा तनाव से राहत पाने के लिए सोशल मीडिया और गेमिंग का अत्यधिक उपयोग बच्चे को इस खाई में खींच रहा है।

सोशल मीडिया और गेमिंग के दुष्प्रभाव
अत्यधिक डिजिटल उपयोग से बच्चों में कई नकारात्मक असर देखे जा रहे हैं। इनमें शामिल हैं:

  • पढ़ाई में गिरावट और सीखने की क्षमता में कमी
  • ध्यान व एकाग्रता की समस्या
  • चिड़चिड़ापन और व्यवहार में बदलाव
  • नींद में कमी या नींद की खराब गुणवत्ता
  • आंखों में जलन, सिरदर्द, चश्मे का नंबर बढ़ना
  • सामाजिक दूरी और वास्तविक दुनिया से कटाव
  • मस्तिष्क के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव

रिसर्च क्या कहती है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2019 में “Gaming Disorder” को आधिकारिक मानसिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में मान्यता दी।

  • American Academy of Pediatrics के अनुसार अत्यधिक स्क्रीन टाइम बच्चों के मस्तिष्क विकास, सीखने की क्षमता और सामाजिक कौशल पर नकारात्मक असर डालता है।
  • National Institute of Mental Health (NIMH) की रिपोर्ट बताती है कि लगातार ऑनलाइन गेमिंग से डोपामिन स्तर बदलता है, जिससे बच्चों में लत जैसी प्रवृत्ति विकसित होती है।
  • IIT-बॉम्बे के हालिया अध्ययन में पाया गया कि भारत के 25–30% किशोर गंभीर स्क्रीन टाइम और इंटरनेट एडिक्शन की चपेट में हैं।

विशेषज्ञों की राय
बाल कल्याण समिति उज्जैन की सदस्य श्रद्धा शर्मा का कहना है कि “बच्चों में मोबाइल गेम की लत पढ़ाई, नींद, मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। माता-पिता को डिजिटल उपयोग पर निगरानी रखते हुए बच्चों को वास्तविक गतिविधियों से जोड़ना चाहिए।”
विशेषज्ञों के अनुसार सतत गेमिंग से मस्तिष्क की न्यूरल कनेक्टिविटी प्रभावित होती है, जिससे बच्चा वास्तविक दुनिया से कटता है, सामाजिक कौशल में कमी आती है और बौद्धिक व शारीरिक विकास में बाधा उत्पन्न होती है।

लत से मुक्ति के उपाय

  • स्क्रीन टाइम की सख्त सीमा तय करें
  • आउटडोर खेल और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा दें
  • परिवार के साथ प्रतिदिन गुणवत्तापूर्ण समय व्यतीत करें
  • मोबाइल व इंटरनेट रात में बच्चों की पहुँच से दूर रखें
  • पढ़ाई, हॉबी और रचनात्मक गतिविधियों को प्राथमिकता दें
  • आवश्यकता होने पर मनोवैज्ञानिक या विशेषज्ञ से परामर्श लें

इस डिजिटल युग में बच्चों की सुरक्षा और स्वस्थ विकास के लिए परिवार और समाज की सतर्कता अत्यंत आवश्यक है।

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