Wednesday, December 3

गुजरात में सियासी संग्राम तेज: कांग्रेस की ‘जन आक्रोश यात्रा’, बीजेपी का ‘यूनिटी मार्च’ और AAP का ‘गुजरात जोड़ो’ 2026 के निकाय चुनावों से पहले तीनों दलों की ताकत प्रदर्शन की होड़

गुजरात इन दिनों तीन राजनीतिक यात्राओं के कारण देशभर की सुर्खियों में है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा गुजरात में शराब व ड्रग की बिक्री पर बीजेपी को घेरने के बाद राजनीतिक तापमान और बढ़ गया है। एक तरफ कांग्रेस अपनी ‘जन आक्रोश यात्रा’ को ऐतिहासिक बता रही है, वहीं बीजेपी सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर ‘यूनिटी मार्च’ के जरिए शक्ति प्रदर्शन में जुटी है। उधर तीसरे मोर्चे के तौर पर उभरी आम आदमी पार्टी (आप) ‘गुजरात जोड़ो’ अभियान के जरिए अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है।

कांग्रेस की ‘जन आक्रोश यात्रा’ को व्यापक समर्थन का दावा

कांग्रेस की यात्रा 21 नवंबर से शुरू हुई थी और 3 दिसंबर को समाप्त हो गई। पार्टी ने इसे अभूतपूर्व समर्थन मिलने का दावा किया है। इस यात्रा का नेतृत्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा कर रहे थे।
राहुल गांधी ने संसद में गुजरात में शराब-ड्रग बिक्री का मुद्दा उठाते हुए बीजेपी पर तीखा हमला बोला, जिससे कांग्रेस का नैरेटिव और मजबूत हुआ।

बीजेपी का ‘यूनिटी मार्च’—मनसुख मांडविया की कमान में 150 किमी का सफर

सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर बीजेपी ने 150 किलोमीटर लंबा ‘यूनिटी मार्च’ निकाला है। इस मार्च को आश्चर्यजनक रूप से मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल या प्रदेश अध्यक्ष जगदीश विश्वकर्मा नहीं, बल्कि केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया नेतृत्व दे रहे हैं।

कहां-कहां हो रही यात्रा?

  • शुरुआत: करमसद (सरदार पटेल का पैतृक गांव)
  • समापन: केवडिया (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) – 6 दिसंबर

यह यात्रा बीजेपी के संगठनात्मक दम और केंद्र की योजनाओं के प्रभाव को जनता तक ले जाने का प्रयास है।

आप की ‘गुजरात जोड़ो’ मुहिम—किसानों, आदिवासियों और युवाओं पर फोकस

गुजरात में तीसरी ताकत बनकर उभरी आम आदमी पार्टी अब सौराष्ट्र और आदिवासी बेल्ट के बाद उत्तर गुजरात पर जोर दे रही है।
इस अभियान के नेता इसुदान गढ़वी हैं, जो महापंचायतों और सैकड़ों सभाओं के जरिए किसानों की समस्याओं को उठा रहे हैं।

आप का फोकस:

  • निकाय चुनाव 2026 में बेहतर प्रदर्शन
  • सूरत मॉडल को दोहराना, जहां से पार्टी को सबसे पहले सफलता मिली
  • शराब-ड्रग के मुद्दे पर बीजेपी सरकार को घेरना
    आप विधायक चैतर वसावा और गोपाल इटालिया भी इन मुद्दों को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।

SIR के बाद होंगे गुजरात में बड़े निकाय चुनाव

गुजरात समेत 12 राज्यों में मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) कार्य जारी है।
यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट समेत बड़े नगर निगमों व नगरपालिकाओं के चुनाव 2026 में होंगे।

इन चुनावों की अहमियत क्यों?
क्योंकि इसके ठीक अगले वर्ष 2027 में विधानसभा चुनाव हैं।
इसलिए तीनों दल अभी से जमीन मजबूत करने में जुटे हैं।

AAP का ऐलान—निकाय चुनाव अकेले लड़ेंगे

आप ने साफ कहा है कि वह किसी गठबंधन में नहीं जाएगी।
इससे निकाय चुनावों में त्रिकोणीय मुकाबला तय हो चुका है।
बीजेपी इसे अपने लिए फायदेमंद मान रही है, क्योंकि विपक्ष का वोट बिखर सकता है।
वहीं कांग्रेस के सामने दोहरी चुनौती है—बीजेपी से सीधा मुकाबला और आप से अपने वोट बैंक की रक्षा।

बीजेपी सरकार के सामने चुनौतियाँ और उपलब्धियों की तस्वीर

हाल में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद नए मंत्रियों की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है।
वलसाड में हुए चिंतन शिविर में मंत्रियों के साथ सभी जिलों के कलेक्टर और नगर निगम कमिश्नर शामिल हुए।

बीजेपी के पास उपलब्धियां भी कम नहीं:

  • बुलेट ट्रेन का ट्रायल
  • अहमदाबाद में 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियाँ

लेकिन चुनौतियाँ भी बड़ी:

  • शहरों में खराब सड़कें
  • निकायों में भ्रष्टाचार

विपक्ष मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के बजाय डिप्टी सीएम हर्ष संघवी को अधिक निशाने पर ले रहा है, क्योंकि शराबबंदी के बावजूद शराब-ड्रग की बिक्री का मुद्दा प्रदेश में सबसे बड़ा राजनीतिक हथियार बन गया है।

राजनीतिक निष्कर्ष—तैयारियों का मैदान गर्म, मुकाबले का इम्तिहान बाकी

निकाय चुनाव 2026 और विधानसभा चुनाव 2027—इन्हीं दो लक्ष्यों को केंद्र में रखकर बीजेपी, कांग्रेस और आप, तीनों दल यात्राओं, सभाओं और अभियानों के जरिए अपनी जमीन मजबूत करने में जुटे हैं।
गुजरात की राजनीति एक बार फिर उस मोड़ पर खड़ी है जहां हर दल खुद को जनता के सामने सबसे मजबूत विकल्प साबित करना चाहता है।

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