Wednesday, November 19

जिसके पास रूसी S-400, उसे अमेरिका नहीं देता F-35… क्या भारत इसलिए नहीं खरीद पा रहा सबसे एडवांस जेट?

नई दिल्ली: दुनिया के सबसे उन्नत स्टेल्थ लड़ाकू विमान F-35 को लेकर हाल ही में चर्चा तेज हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब को F-35 बेचने की योजना बनाई है, लेकिन इस विमान को हर देश को नहीं दिया जाता। इसके लिए अमेरिका कुछ कड़ी शर्तों का पालन अनिवार्य करता है।

अमेरिका का F-35 नीति

अमेरिका F-35 खरीदने वाले देशों के लिए सुरक्षा और राजनीतिक शर्तें तय करता है। उदाहरण के लिए, तुर्की ने रूसी S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदा, जिसके बाद अमेरिका ने उसे F-35 कार्यक्रम से बाहर कर दिया। अमेरिका का कहना है कि S-400 के मौजूद होने से F-35 के एडवांस सेंसर और तकनीक को खतरा हो सकता है।

चीन और अन्य सहयोगियों का ध्यान

अमेरिका उन देशों को F-35 देने में हिचकिचाता है, जिनमें चीन या रूसी प्रभाव हो। ताइवान इसका उदाहरण है, जहां चीन के जासूसों की सक्रियता को लेकर अमेरिका चिंतित है। इसी तरह यूएई और ब्रिटेन में हुआवे 5G नेटवर्क को लेकर अमेरिका ने सुरक्षा कारणों से F-35 की तैनाती पर रोक लगाई।

मध्य पूर्व में इजरायल की बढ़त

अमेरिका का इजरायल के प्रति कानूनी दायित्व है कि मध्य पूर्व में उसकी तकनीकी बढ़त बनी रहे। इस कारण से सऊदी अरब को ही फिलहाल F-35 की डील दी जा रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि सऊदी और चीन मिलकर मिलिट्री प्रोजेक्ट करें, तो अमेरिकी एडवांस तकनीक का रिस्क बढ़ सकता है।

भारत के लिए चुनौती

OBSERVER RESEARCH FOUNDATION के अनुसार, अमेरिकी सरकार भारत को F-35A के लिए प्रस्ताव देने पर विचार कर रही है। फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाशिंगटन दौरे के दौरान इस पर चर्चा हुई थी। हालांकि, भारत ने तुरंत जवाब नहीं दिया।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के लिए F-35 खरीदना तकनीकी और वित्तीय दृष्टि से सबसे उपयुक्त विकल्प नहीं हो सकता। इसके उच्च खर्च, रखरखाव और तकनीकी ट्रांसफर की चुनौतियां बड़ी हैं।

F-35 की खासियत

  • 5वीं जेनरेशन स्टेल्थ फाइटर
  • लॉकहीड मार्टिन का उत्पादन
  • ऑपरेशन लागत: प्रति घंटा लगभग 31.20 लाख रुपए
  • कीमत: 700 करोड़ से 944 करोड़ रुपए
  • 3 वैरिएंट, हवाई युद्ध और बमबारी एक मिशन पर संभव

Leave a Reply