
नई दिल्ली: रूस, जो भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल सप्लायर है, इस महीने भारत को तेल की आपूर्ति में भारी गिरावट देखी गई है। अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल पर पाबंदी लगी है। इससे भारतीय रिफाइनरी कंपनियां, खासकर एयर इंडिया, रूस से तेल खरीदने में सावधानी बरत रही हैं। चीन और तुर्की ने भी इसी अवधि में रूस से तेल की खरीद घटा दी है।
गिरावट के आंकड़े
डेटा एनालिटिक्स कंपनी Kpler के अनुसार, 1 से 17 नवंबर के बीच भारत आने वाले रूसी तेल की औसत लोडिंग 672,000 बैरल प्रतिदिन रही, जो अक्टूबर के 1.88 मिलियन बैरल की तुलना में लगभग दो-तिहाई कम है। रूस की कुल तेल लोडिंग भी नवंबर में 28% घटकर 2.78 मिलियन बैरल रह गई।
बिना मंजिल के टैंकर
विशेषज्ञों के अनुसार, रूस से लोड किए गए लगभग आधे टैंकर अभी बिना किसी तय मंजिल के समुद्र में घूम रहे हैं। इसका अर्थ है कि निर्यातक नए खरीदार खोज रहे हैं और प्रतिबंधों से बचने के लिए नए लॉजिस्टिकल उपाय अपना रहे हैं। चीन को लोडिंग 47% घटकर 624,000 बैरल और तुर्की को 87% गिरावट के साथ सिर्फ 43,000 बैरल ही मिला।
जहाज-से-जहाज ट्रांसफर
Kpler के शोध विश्लेषक सुमित रितोलिया के अनुसार, तेल के डेस्टिनेशन बदल रहे हैं और जहाज-से-जहाज ट्रांसफर असामान्य जगहों पर हो रहा है, जैसे मुंबई के तट के पास। ये नए तरीके रूस के निर्यातकों द्वारा पश्चिमी प्रतिबंधों से बचने के लिए अपनाए जा रहे हैं।
आने वाले महीनों की चुनौती
विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर और जनवरी में भारत को रूसी कच्चे तेल की सप्लाई में और भी अधिक गिरावट देखने को मिल सकती है। अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ भी लागू कर रखा है।
रूस से तेल की सप्लाई में गिरावट के कारण भारत की अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा और रिफाइनिंग लागत पर गंभीर असर पड़ सकता है।