
रायपुर।
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के सबसे कुख्यात चेहरे और 1 करोड़ से अधिक इनामी माओवादी मादवी हिडमा को सुरक्षाबलों ने आंध्र प्रदेश में मुठभेड़ के दौरान ढेर कर दिया। संगठन में सबसे खतरनाक माने जाने वाले हिडमा पर 26 बड़े हमलों में शामिल होने का आरोप था। वह अक्सर कहा करता था— “मैं मर जाऊंगा लेकिन सरेंडर नहीं करूंगा।” आखिरकार 40 मिनट की जबरदस्त गोलीबारी में उसका सफर खत्म हो गया। उसकी पत्नी राजे भी इस ऑपरेशन में मारी गई।
दो दिन पहले मिला था इनपुट
सूत्रों के अनुसार, सुरक्षाबलों को हिडमा की मौजूदगी का पता दो दिन पहले ही चल गया था। लंबे समय से बीमार चल रहे हिडमा ने छत्तीसगढ़ छोड़कर आंध्र प्रदेश में गुप्त रूप से शरण ले रखी थी। वह इलाज की तैयारी में था और उसके साथ सिर्फ कुछ भरोसेमंद लोग और उसकी पत्नी मौजूद थीं।
आंध्र प्रदेश का एक व्यक्ति, जो हिडमा की मदद कर रहा था, उसी ने सूचना सुरक्षाबलों तक पहुंचाई।
रातोंरात घेराबंदी, सुबह 5:30 बजे शुरू हुई मुठभेड़
इस ऑपरेशन को पूरी तरह सीक्रेट रखा गया। देर रात सुरक्षाबलों ने जंगल क्षेत्र को चारों ओर से घेरकर करीब दो किलोमीटर का इलाका कार्डनऑफ कर दिया।
सुबह करीब 5:30 बजे मुठभेड़ शुरू हुई। दोनों ओर से भारी फायरिंग हुई और 40 मिनट के भीतर हिडमा और उसकी पत्नी राजे ढेर हो गए।
इलाज के लिए गुपचुप तरीके से आने के कारण उसके सुरक्षा घेरे में भारी कमी थी, जिसका फायदा जवानों ने उठाया।
पहचानने में लगे चार घंटे
हिडमा की ताज़ा तस्वीर सुरक्षाबलों के पास नहीं थी, ऐसे में पहचान में चार घंटे का समय लग गया।
उसके चेहरे पर पुराने कट के निशान थे।
मौके से मिलने वाले कोर कमिटी के महत्वपूर्ण दस्तावेज, एक AK-47, और वॉयरलेस सेट ने पहचान की पुष्टि में मदद की।
सरेंडर कर चुके नक्सलियों ने भी उसकी पुरानी तस्वीर साझा की थी, जिसके आधार पर पहचान पूरी हुई।
‘मैं सरेंडर नहीं करूंगा’ — साथी का बड़ा खुलासा
हिडमा के पूर्व साथी रूपेश—जो कुछ समय पहले ही सुरक्षाबलों के सामने सरेंडर कर चुका है—ने बताया कि हिडमा कहा करता था,
“मैं मरने के लिए तैयार हूं, लेकिन कभी सरेंडर नहीं करूंगा।”
अंततः उसका यही जिद्दी ऐलान उसके अंत की वजह बना।
गांव में सदमे और राहत—दोनों के भाव
हिडमा की मौत की खबर जैसे ही उसके गांव पूवर्ती पहुंची, उसकी बूढ़ी मां ने कहा—
“मैं शव लेने नहीं जा सकती, आप लोग ही इसे गांव पहुंचा दें।”
दूसरी ओर बस्तर क्षेत्र में हिडमा के मारे जाने पर आतिशबाजी भी की गई, क्योंकि वह कई दशकों से बस्तर में दहशत का पर्याय बन चुका था।
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर लगा बड़ा झटका
भारत के सबसे खतरनाक नक्सली नेताओं में शामिल हिडमा के मारे जाने से सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी सफलता मिली है।
यह माना जा रहा है कि उसके अंत के साथ ही बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद की कमर और अधिक टूटेगी।