Saturday, November 15

सरकारी दफ्तरों पर 62 करोड़ का बिजली बिल बकाया, ग्राम पंचायतें बनीं सबसे बड़े कर्जदार

सतना: मध्य प्रदेश के सतना जिले में सरकारी विभागों पर बिजली कंपनी का करीब 62 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया बिल हो गया है। इस स्थिति में ये सरकारी दफ्तर बिजली कंपनी के सबसे बड़े कर्जदार बन गए हैं। नवंबर 2025 तक की स्थिति के अनुसार, इन विभागों पर बिजली बिल का बकाया चौंकाने वाला है, और इसके बावजूद बिजली कंपनी वसूली की स्थिति में नहीं दिख रही है।

ग्राम पंचायतों का 51 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया

बकायेदार विभागों में ग्राम पंचायतों का नाम सबसे ऊपर है। जिले की 692 ग्राम पंचायतों पर अकेले 51.66 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया है, जो कुल बकाए का लगभग 83% है। इसके अलावा, आंगनबाड़ी केंद्र (3.52 करोड़), लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग (3.26 करोड़) और स्कूल शिक्षा विभाग (2.52 करोड़) जैसे अन्य प्रमुख विभाग भी बड़े कर्जदारों में शामिल हैं। नगर निगम सतना पर भी 86.22 लाख रुपये का बकाया है।

राज्य और केंद्रीय दफ्तरों का भी बकाया

सतना जिले में स्थित राज्य और केंद्रीय दफ्तरों का भी बिजली कंपनी के प्रति बकाया बढ़ता जा रहा है। इन प्रमुख विभागों पर बकाया राशि इस प्रकार है:

  • हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर: 39.71 लाख रुपये
  • नगर निगम सतना: 86.22 लाख रुपये
  • पीडब्ल्यूडी: 26.28 लाख रुपये
  • जनजातीय कार्य विभाग: 13.46 लाख रुपये
  • राजस्व विभाग: 11.65 लाख रुपये
  • पुलिस विभाग: 81 हजार रुपये
  • केंद्रीय विभाग:
  • बीएसएनएल: 23.55 लाख रुपये
  • रेलवे: 9.66 लाख रुपये

कर्ज बढ़ने का कारण क्या है?

सरकारी विभागों पर बिजली बिल का बकाया होने का मुख्य कारण प्रक्रियात्मक देरी है। जानकारी के अनुसार, बिजली बिल का भुगतान करने के लिए फंड संबंधित विभागों को भोपाल से जारी होता है, लेकिन ऊपर से फंड की रिलीज में देरी होती है। यही कारण है कि समय के साथ-साथ यह बकाया राशि करोड़ों में पहुंच जाती है। हालांकि, विद्युत वितरण कंपनी समय-समय पर इन बकायेदारों को नोटिस जारी करती रहती है, लेकिन अक्सर इन नोटिसों का कोई प्रभाव नहीं दिखाई देता।

बिजली कंपनी की स्थिति

सतना सर्कल के सुपरवाइजिंग इंजीनियर पीके मिश्रा ने नवभारत टाइम्स से बातचीत करते हुए कहा कि सतना और मैहर दोनों जिले के शासकीय कार्यालयों पर कुल 62 करोड़ रुपये बिजली बिल बकाया है। कुछ विभागों में तो ज्यादा राशि बकाया है, जैसे कि पंचायत विभाग, जिसके पास 51 करोड़ 66 लाख रुपये का बकाया है। इन विभागों को हर माह सूचित किया जाता है, लेकिन वसूली की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हो रहा है। फिलहाल, बिजली कंपनी ने इन बकायेदारों को कुछ और महीनों का समय दिया है, ताकि वे अपने बकाए का भुगतान कर सकें।

यह स्थिति सरकारी विभागों की लापरवाही और प्रक्रियात्मक दिक्कतों का नतीजा है, जिसके चलते बिजली कंपनी और राज्य सरकार को एक बड़ी वित्तीय चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

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