
नई दिल्ली/खार्तूम।
अफ्रीका का एक देश है सूडान, जो 2023 से गृहयुद्ध की आग में जल रहा है। पर इस युद्ध की जड़ में सिर्फ सत्ता नहीं, बल्कि सोने की चमक छिपी है। 2011 में जब देश के तेल राजस्व में गिरावट आई, तब सूडान के भूगर्भ से निकलने वाला सोना उसकी अर्थव्यवस्था और राजनीति दोनों का नया ईंधन बन गया। लेकिन यही चमक अब अभिशाप बन चुकी है।
आज सूडान घाना और दक्षिण अफ्रीका के बाद अफ्रीका का तीसरा सबसे बड़ा सोना उत्पादक देश है। पर इस खनन ने देश को समृद्ध नहीं, बल्कि विनाश के रास्ते पर डाल दिया है। गांव–गांव में छोटे खनिक पारे और साइनाइड जैसे रसायनों से सोना निकालते हैं, जिससे मिट्टी, पानी और हवा सब जहरीले हो चुके हैं। नील नदी — जो देश की जीवनरेखा है — अब जहर की नदी बन चुकी है।
🌍 सोने की जंग में कूदे कई देश
सूडान का सोना सिर्फ स्थानीय लड़ाकों की भूख नहीं मिटा रहा, बल्कि वैश्विक ताकतों की आंखों में भी चमक भर रहा है।
- यूएई, मिस्र, चाड, इरिट्रिया जैसे पड़ोसी देश इस व्यापार से मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
- वहीं रूस और चीन जैसे महाशक्तिशाली देश यहां औद्योगिक खनन में निवेश कर रहे हैं।
- माना जाता है कि रूस सोने के बदले हथियारों की सप्लाई भी कर रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूएई सूडान के सोने का सबसे बड़ा खरीदार बन चुका है। यहां से निकला ज्यादातर सोना दुबई के बाजारों तक पहुंचता है और फिर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बिकता है।
💣 सोने ने भड़काई गृहयुद्ध की आग
2011 में दक्षिण सूडान के अलग होने से सूडान ने 75% तेल भंडार और 90% विदेशी मुद्रा आय खो दी। बेरोजगारी और महंगाई बढ़ी, तो लोगों ने सोना खोजना शुरू किया।
धीरे-धीरे यह “गरीबी मिटाने की खदानें” राजनीतिक हथियार बन गईं।
2017 तक सूडान की अधिकतर खदानें रैपिड सपोर्ट फोर्सेस (RSF) के नेता मोहम्मद हमदान दगालो उर्फ हेमेदती के नियंत्रण में आ गईं।
फिर 2019 में राष्ट्रपति ओमर अल बशीर को सत्ता से हटाया गया।
2021 में हुआ सैन्य तख्तापलट और देश दो सेनाओं में बंट गया —
SAF (सूडानी सशस्त्र बल) बनाम RSF (हेमेदती की सेना)।
और इस युद्ध का ईंधन बना सोना।
🏭 रूस और यूएई की गहरी पैठ
2024 में रूस ने पोर्ट सूडान में एक बड़ी सोना खनन रियायत हासिल की। इसके तहत रूस अब रूबल में भुगतान कर सकता है और सूडान उसी रूबल से रूसी हथियार खरीद सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि रूस ने 2021 के तख्तापलट का समर्थन सिर्फ इसलिए किया ताकि उसकी खनन कंपनियों पर भ्रष्टाचार-विरोधी कार्रवाई न हो सके।
वहीं यूएई अब भी सूडान का सबसे बड़ा “सोना निर्यात गंतव्य” बना हुआ है।
⚠️ पर्यावरण और मानवता पर कहर
Yale University की रिपोर्ट बताती है कि सोने की इस अंधी दौड़ ने नील नदी को प्रदूषित कर दिया है।
सैकड़ों गांवों में लोग पारे और साइनाइड के जहर से मर रहे हैं।
खेती की जमीन बंजर हो रही है और भूजल भंडार जहरीले बन चुके हैं।
💰 सोना बना ‘रक्त का व्यापार’
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि सिर्फ 2024 में ही RSF-नियंत्रित क्षेत्रों से 10 टन सोना निकाला गया, जिसकी कीमत 860 मिलियन डॉलर से अधिक है।
यह सोना अब हथियारों, गोला-बारूद और सत्ता की लड़ाई को ईंधन दे रहा है।
✍️ निष्कर्ष
सूडान का सोना अब विकास का प्रतीक नहीं, बल्कि विनाश का कारण बन गया है।
जहां पहले तेल ने समृद्धि दी, वहीं अब सोने ने लालच, खून और जहर का साम्राज्य रच दिया है।
UAE, मिस्र, रूस और चीन जैसे देशों की यह सोने की जंग सिर्फ सूडान को नहीं, बल्कि पूरे अफ्रीका की शांति को निगलने पर आमादा है।