
नेपाल ने अब अपनी करेंसी के मुद्रण के लिए भारत को छोड़कर चीन की तरफ रुख कर लिया है, जो भारत के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। चीन की सरकारी कंपनी चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन (CBPMC) को नेपाल ने अब अपनी मुद्रा छापने का ठेका दे दिया है। इस डील के तहत, चीन अब नेपाल के 1,000 रुपये के 43 करोड़ नोटों का डिज़ाइन और मुद्रण करेगा। यह बदलाव नेपाल और भारत के रिश्तों में बढ़ती खटास और चीन की बढ़ती ताकत को दर्शाता है।
नेपाल और भारत के रिश्तों में खटास
नेपाल का भारत से अपने रुपये छपवाना बंद करने के पीछे सबसे बड़ी वजह दोनों देशों के बीच 2015 के बाद शुरू हुआ सीमा विवाद है। 2015 में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत के लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा घोषित कर दिया था, जिसके बाद भारत और नेपाल के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे। इस विवाद के बाद नेपाल ने धीरे-धीरे अपनी मुद्रा छपवाने के लिए भारत पर निर्भरता खत्म कर दी और चीन की ओर रुख कर लिया।
चीन ने क्यों अपनाई मुद्रा छपाई की नई रणनीति?
नेपाल की मुद्रा छपाई के लिए अब चीन की ओर रुख करने की वजह सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि तकनीकी भी है। चीन ने पिछले कुछ सालों में अपनी मुद्रा छापने की तकनीक में भारी निवेश किया है, और अब यह दुनिया में सबसे बड़ी मुद्रा छापने वाली कंपनी बन गया है। CBPMC अब पानी के निशान, कलर-शिफ्टिंग इंक, होलोग्राम और नई Colordance टेक्नोलॉजी जैसी उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल करके नोट छापता है, जिससे नकली नोट बनाना बेहद मुश्किल हो गया है।
चीन ने किया तकनीकी रूप से बड़ा छलांग
चीन ने 2015 में ब्रिटेन की प्रतिष्ठित कंपनी De La Rue के बैंकनोट प्रिंटिंग डिवीजन को अधिग्रहित किया, जो दशकों तक दुनिया के 140 से ज्यादा देशों के लिए मुद्रा छापता रहा था। इस अधिग्रहण ने चीन को वैश्विक मुद्रा प्रिंटिंग तकनीक में महारत दिलाई और उसे दुनिया की सबसे बड़ी नोट छापने वाली कंपनी बनाने में मदद की। अब चीन अपनी आधुनिक सुविधाओं और कम लागत के कारण दुनिया के कई देशों से मुद्रा छपवाने का ठेका ले रहा है।
नेपाल ने क्यों चीन को चुना?
नेपाल ने चीन से नोट छपवाने का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि चीन में नोट छापने की लागत भारत के मुकाबले कम है, और तकनीकी रूप से भी यह अधिक उन्नत है। इसके अलावा, चीन में राजनीतिक संवेदनशीलता का मुद्दा नहीं है, जबकि भारत में नेपाल के नोट छपवाने को लेकर कई प्रकार के विवाद हो सकते थे। इसने नेपाल को एक सुरक्षित और सस्ता विकल्प प्रदान किया, जहां चीन ने उसे बड़े पैमाने पर और अत्याधुनिक तकनीक से मुद्रण की पेशकश की।
भारत के लिए बड़ा झटका
नेपाल का यह कदम भारत के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। नेपाल हमेशा से भारतीय मुद्रा छपाई के लिए प्रमुख साझेदार रहा है, लेकिन अब चीन की मुद्रा छापने की क्षमता ने इसे एक नया विकल्प दे दिया है। साथ ही, चीन का नेपाल पर बढ़ता प्रभाव भारतीय रणनीतिक दृष्टि से भी चिंता का विषय बन सकता है।
आगे क्या?
चीन की मुद्रा छापने की टेक्नोलॉजी में वृद्धि और नेपाल जैसे देशों का रुझान उसकी ताकत को और बढ़ा सकता है। यह केवल आर्थिक पहलू नहीं, बल्कि एक राजनीतिक मुद्दा भी बनता जा रहा है, क्योंकि नेपाल का चीन की तरफ बढ़ता रुझान भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से चुनौती बन सकता है।