Saturday, November 8

सुप्रीम कोर्ट का आवारा कुत्तों पर आदेश, सोशल मीडिया पर मचा हंगामा

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों और मवेशियों के बढ़ते खतरे को देखते हुए कड़े निर्देश जारी किए हैं। स्कूल, अस्पताल, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड जैसी जगहों पर इन जानवरों के प्रवेश को रोकने के लिए बाड़ लगाने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने नगर निकायों को नियमित निगरानी करने और पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 के तहत टीकाकरण और नसबंदी के बाद जानवरों को निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का निर्देश भी दिया।

🔹 सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर पशुप्रेमियों और आम जनता के बीच बहस तेज हो गई है।

  • मेनका गांधी (बीजेपी नेता): सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला हास्यास्पद है। पहले जस्टिस पारदीवाला के आवारा कुत्तों को हटाने वाले फैसले की आलोचना हुई थी, अब ये आदेश उससे भी ज्यादा विवादित है।
  • विदित शर्मा (यूजर): “पशु प्रेमियों को आवारा कुत्ते आपस में बांट लें, उन्हें अच्छे से खाना खिलाएं और घर में रखें।”
  • पीके मौर्य: “आवारा कुत्ते देश के लिए खतरा हैं, सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्वागत योग्य है।”
  • नरेश शर्मा: “सुप्रीम कोर्ट ने सही कहा कि स्कूल, अस्पताल, हाईवे और रेलवे स्टेशन से कुत्ते हटाए जाएं, लेकिन अब सवाल ये है कि इन्हें कहां रखा जाए। क्यों न आवारा कुत्तों को किसी उपयोगी काम में लगाया जाए।”

🔹 सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्या कहता है

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने शुक्रवार को स्वतः संज्ञान लेते हुए आदेश दिया कि:

  1. सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों और मवेशियों के प्रवेश को रोकने के लिए बाड़ लगाई जाए।
  2. नगर निकाय इन परिसरों की नियमित निगरानी करें।
  3. एबीसी नियम, 2023 के तहत टीकाकरण और नसबंदी के बाद जानवरों को निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में स्थानांतरित किया जाए।

🔹 बातचीत का प्रमुख मुद्दा

आदेश का उद्देश्य सार्वजनिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। हालांकि, सवाल उठता है कि इन आवारा जानवरों का भविष्य क्या होगा। सोशल मीडिया पर इस आदेश को लेकर समर्थन और विरोध दोनों ही जोरदार हैं। पशुप्रेमियों की चिंता और सुरक्षा के दृष्टिकोण को संतुलित करना अब स्थानीय प्रशासन की चुनौती बनेगा।

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