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100 महिलाओं को निःशुल्क स्किल ट्रेनिंग, 100 नई नौकरियों का सुनहरा अवसर  
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100 महिलाओं को निःशुल्क स्किल ट्रेनिंग, 100 नई नौकरियों का सुनहरा अवसर  

लुनिया विनायक प्राइवेट लिमिटेड की बड़ी पहल! * इंदौर ।* महिला सशक्तिकरण और युवाओं के रोजगार को बढ़ावा देने के लिए लुनिया विनायक प्राइवेट लिमिटेड ने एक नई और क्रांतिकारी योजना की घोषणा की है। इस पहल के तहत 100 महिलाओं को *ग्राफिक डिजाइनिंग और मास कम्युनिकेशन (न्यूज एडिटिंग)* में *100% स्कॉलरशिप* के साथ निःशुल्क प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम (Certificate Course) प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा, कंपनी *100 नई भर्तियों* के लिए भी आवेदन आमंत्रित कर रही है।    *महिलाओं के लिए निःशुल्क स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम*   *अब सीखें ग्राफिक डिजाइनिंग और मास कम्युनिकेशन, वो भी पूरी तरह फ्री।*   - *100% स्कॉलरशिप* पर 3 महीने का प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम (Certificate Course)  - डिप्लोमा कोर्स पर 60%, बैचलर्स पर 40% और मास्टर्स डिग्री पर 25% तक की स्कॉलरशिप  - ऑनलाइन क्लासेस ...
सोशल मीडिया पर धूम मचा रहा हिमेश रेशमिया का ‘तंदूरी डेज’ सॉन्ग, एक बार सुन लिया तो रह जाएंगे मंत्रमुग्ध
Entertainment

सोशल मीडिया पर धूम मचा रहा हिमेश रेशमिया का ‘तंदूरी डेज’ सॉन्ग, एक बार सुन लिया तो रह जाएंगे मंत्रमुग्ध

बॉलीवुड के प्रसिद्ध सिंगर, म्यूजिक कंपोजर और अभिनेता हिमेश रेशमिया (Himesh Reshammiya) इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म बैडएस रवि कुमार (Badass Ravi Kumar) को लेकर लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। फिल्म के ट्रेलर और गानों को लेकर दर्शकों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। इसी बीच फिल्म का लेटेस्ट सॉन्ग 'तंदूरी डेज' (Tandoori Days) रिलीज किया गया है, जिसने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। हिमेश रेशमिया और सनी लियोनी की जोड़ी ने मचाया धमाल हाल ही में बैडएस रवि कुमार (Badass Ravi Kumar) फिल्म का 'हुकस्टेप हुक्का बार' (Hookstep Hookah Bar) गाना रिलीज किया गया था, जिसे इंटरनेट पर जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। वहीं अब हिमेश रेशमिया ने फिल्म का एक और धमाकेदार गाना 'तंदूरी डेज' (Tandoori Days Song) लॉन्च किया है, जो हाई-एनर्जी डांस नंबर है। इस गाने को खुद हिमेश ने गाया है, जबकि सनी लियोनी (Sunny Le...
हिट फिल्म देकर रातों-रात इंडस्ट्री से गायब हुईं बॉलीवुड की खूबसूरत ‘भूतनी’, जानिए अब कहां हैं जैस्मिन धुन्ना
Entertainment

हिट फिल्म देकर रातों-रात इंडस्ट्री से गायब हुईं बॉलीवुड की खूबसूरत ‘भूतनी’, जानिए अब कहां हैं जैस्मिन धुन्ना

बॉलीवुड की हॉरर फिल्मों में अक्सर कॉमेडी और बोल्डनेस का तड़का देखने को मिलता है। 90 के दशक में भी इस ट्रेंड को खूब अपनाया गया था। साल 1988 में रामसे ब्रदर्स ने फिल्म 'वीराना' बनाई थी, जिसकी रहस्यमयी और भूतिया कहानी ने दर्शकों को हैरान कर दिया था। इस फिल्म में सबसे ज्यादा चर्चा बटोरी खूबसूरत 'भूतनी' के किरदार ने, जिसे जैस्मिन धुन्ना ने निभाया था। जैस्मिन ने इस फिल्म के जरिए रातों-रात लोकप्रियता हासिल की, लेकिन इसके बाद अचानक वह इंडस्ट्री से गायब हो गईं। आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ दिलचस्प बातें। हॉरर फिल्म से बनीं रातों-रात स्टार जैस्मिन धुन्ना अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती थीं। उन्होंने 1979 में हिंदी सिनेमा में कदम रखा और अपनी पहली ही फिल्म में विनोद खन्ना के साथ काम किया। डायरेक्टर एन.डी. कोठारी की फिल्म 'सरकारी मेहमान' (1979) में जैस्मिन को मुख्य भूमिका मिली। यह फिल्म हिट रही...
30 हजार रुपए उधार, कुछ भी नहीं… महाकुंभ से फेमस हुईं मोनालिसा की चौंकाने वाली कहानी
Entertainment

30 हजार रुपए उधार, कुछ भी नहीं… महाकुंभ से फेमस हुईं मोनालिसा की चौंकाने वाली कहानी

मध्य प्रदेश के महेश्वर की एक लड़की, जो महाकुंभ में माला बेचने गई थी, लेकिन अपनी अनोखी आंखों के कारण सोशल मीडिया पर इतनी वायरल हुई कि हर कोई बस उसी के बारे में जानना चाहता था। यह वायरल गर्ल मोनालिसा, जो अकसर हंसती, खिलखिलाती और बेबाक अंदाज में नजर आती थी, अब उदास और थोड़ी परेशान दिखाई दे रही हैं। दरअसल, कत्थई आंखों वाली मोनालिसा ने सोशल मीडिया पर महाकुंभ से वायरल होने से लेकर अपने घर लौटने तक की अपनी पूरी जर्नी साझा की है। उन्होंने जहां फेमस होने की खुशी जताई, वहीं इससे हुए नुकसान को लेकर अफसोस भी जाहिर किया। महाकुंभ में बेचती थीं माला महाकुंभ मेले में फुटपाथ पर माला बेचने वाली मोनालिसा बीते कई दिनों से सोशल मीडिया पर सेंसेशन बनी हुई हैं। उनकी पॉपुलैरिटी का असर उनके काम पर भी पड़ा। अपने अनुभव को साझा करते हुए मोनालिसा ने बताया कि उनके पिता ने कर्ज लेकर सामान खरीदा था, ताकि महाकुंभ ...
मार्च 1990 के प्रमुख न्यायिक मामले – विस्तृत रिपोर्ट
Legal desk

मार्च 1990 के प्रमुख न्यायिक मामले – विस्तृत रिपोर्ट

मार्च 1990 में भारतीय न्यायिक प्रणाली में कई महत्वपूर्ण फैसले आए, जिन्होंने कानून की व्याख्या और संवैधानिक अधिकारों को स्पष्ट किया। इस रिपोर्ट में उन प्रमुख मामलों की संक्षिप्त विवेचना की गई है, जो उस समय सुर्खियों में रहे। 1. माइनिंग केस – इंडिया सीमेंट बनाम तमिलनाडु राज्य मामला: यह मामला खनन अधिकारों और उनके कराधान से जुड़ा था। 1989 तक, "इंडिया सीमेंट बनाम तमिलनाडु राज्य" (India Cement v. State of Tamil Nadu) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया था कि खनिजों पर रॉयल्टी एक प्रकार का कर (Tax) है। राज्य सरकारें इसे कर के रूप में वसूल सकती थीं। मार्च 1990 में फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय को पलटते हुए कहा कि रॉयल्टी कर नहीं, बल्कि एक "कंसिडरेशन" (consideration) है, जो खनिजों के दोहन के विशेषाधिकार के लिए दी जाती है। इस फैसले के बाद, राज्य सरकारों को खन...
मार्च 1990 में भारत में घटित प्रमुख अपराधों की विस्तृत रिपोर्ट
crime review

मार्च 1990 में भारत में घटित प्रमुख अपराधों की विस्तृत रिपोर्ट

मार्च 1990 का महीना भारत में कई गंभीर अपराधों और हिंसक घटनाओं का साक्षी रहा। इनमें से कुछ घटनाएं राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनीं और न्याय प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण साबित हुईं। इस रिपोर्ट में मार्च 1990 में घटित प्रमुख अपराधों की विवेचना की गई है। 1. हेतल पारिख हत्याकांड (5 मार्च 1990) कोलकाता में 5 मार्च 1990 को 15 वर्षीय हेतल पारिख की उनके अपार्टमेंट के चौकीदार धनंजय चटर्जी द्वारा हत्या कर दी गई थी। इस जघन्य अपराध में हेतल के साथ दुष्कर्म किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई। यह घटना पश्चिम बंगाल में महिला सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण मामला बना। प्रमुख तथ्य: अपराधी: धनंजय चटर्जी (अपार्टमेंट चौकीदार) पीड़िता: हेतल पारिख (15 वर्ष) अपराध स्थल: कोलकाता अपराध का स्वरूप: बलात्कार और हत्या न्यायिक प्रक्रिया: 14 अगस्त 2004 को धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई यह मामल...
क्या वास्तव में भारत में बेरोजगारी चरम पर है?
Editorial

क्या वास्तव में भारत में बेरोजगारी चरम पर है?

भारत में बेरोजगारी कोई नया विषय नहीं है। यह वर्षों से चर्चा का केंद्र बना हुआ है और राजनीतिक दलों द्वारा सत्ता परिवर्तन के लिए एक मुद्दे के रूप में उपयोग किया जाता रहा है। लेकिन असल सवाल यह है कि **क्या वास्तव में देश में बेरोजगारी चरम पर है, या फिर समस्या किसी और चीज़ में है?** यदि हम गहराई से इस विषय पर विचार करें, तो पाएंगे कि बेरोजगारी से अधिक **काम करने की इच्छा, परिश्रम की भावना और अपने कौशल को निखारने की ललक की कमी एक बड़ी समस्या बन चुकी है।** मैंने विभिन्न क्षेत्रों में इस विषय पर शोध किया है और अपने अनुभवों के आधार पर कुछ महत्वपूर्ण बिंदु प्रस्तुत कर रहा हूँ। **1. असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की मानसिकता** हमारे देश का एक बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र में काम करता है, जिसमें दिहाड़ी मजदूर भी शामिल हैं। पहले के समय में मजदूर काम की तलाश में भटकते थे, लेकिन आज उन्हें काम मिलने ...
फरवरी 1990 के भारत के सर्वश्रेष्ठ न्यायिक निर्णय की विस्तृत रिपोर्ट
Legal desk

फरवरी 1990 के भारत के सर्वश्रेष्ठ न्यायिक निर्णय की विस्तृत रिपोर्ट

भारत में न्यायिक प्रणाली ने समय-समय पर ऐसे फैसले दिए हैं, जिन्होंने समाज और कानून पर गहरा प्रभाव डाला है। फरवरी 1990 का समय भी भारतीय न्यायपालिका के लिए महत्वपूर्ण रहा। हालांकि उस समय के सभी न्यायिक निर्णयों का विवरण उपलब्ध नहीं है, लेकिन उस दशक में दिए गए फैसलों की एक झलक हमें यह समझने में मदद करती है कि भारतीय न्यायिक प्रणाली ने समाज को कैसे दिशा प्रदान की। 1. संवैधानिक अधिकार और आरक्षण की सीमा 1990 का दशक मंडल आयोग की सिफारिशों और आरक्षण के मुद्दे पर चर्चित रहा। यह समय सामाजिक न्याय और समानता को लेकर महत्वपूर्ण था। सुप्रीम कोर्ट ने “इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ” मामले (1992) में ऐतिहासिक निर्णय दिया। इस निर्णय ने आरक्षण के दायरे को स्पष्ट किया और यह सुनिश्चित किया कि कुल आरक्षण 50% से अधिक न हो। हालांकि यह फैसला फरवरी 1990 का नहीं था, लेकिन इसके पीछे के तर्क और चर्चा उस समय शुरू हुई...