Wednesday, November 5

रूसी तेल पर संकट गहराया: भारत-चीन-तुर्की के फैसले से डगमगाया रूस का तेल कारोबार, ट्रंप के आदेश से बढ़ी मुश्किलें

नई दिल्ली। रूस से कच्चे तेल की बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गई है। जनवरी 2024 के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट बताई जा रही है। वजह है — अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ताजा आदेश, जिसके तहत रूसी तेल कंपनियों पर बैन लगाया गया है। इस प्रतिबंध के असर से भारत, चीन और तुर्की जैसे बड़े खरीदार देशों ने रूसी तेल खरीदने से फिलहाल दूरी बना ली है, जिसके चलते रूस की कमाई पर सीधा असर पड़ा है।

समुद्री रास्ते से तेल निर्यात में भारी गिरावट

ब्लूमबर्ग के जहाज-ट्रैकिंग डेटा के अनुसार, 2 नवंबर तक बीते चार हफ्तों में रूस के बंदरगाहों से प्रतिदिन औसतन 35.8 लाख बैरल तेल निर्यात हुआ। यह 26 अक्टूबर तक के औसत से 1.9 लाख बैरल प्रति दिन कम है। यह गिरावट केवल मात्रा में ही नहीं, बल्कि कमाई में भी दर्ज हुई है। अगस्त के बाद यह रूस के लिए सबसे कम राजस्व का स्तर है।

ट्रंप के आदेश के बाद बढ़ा दबाव

ट्रंप प्रशासन ने रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों — रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil) — पर प्रतिबंध लगाए हैं। इसके बाद भारत, चीन और तुर्की जैसे देशों ने अपनी खरीद सीमित कर दी है। विश्लेषकों का मानना है कि इन देशों को उम्मीद है कि यदि वे अमेरिकी पाबंदियों का पालन करते हैं, तो ट्रंप प्रशासन कुछ व्यापारिक राहत दे सकता है।

समुद्र में ‘फंसा’ रूसी तेल

हालात यह हैं कि रूसी एक्सपोर्टर जहाजों में तेल भर तो रहे हैं, लेकिन कई देशों की रिफाइनर कंपनियां उसे उतारने से बच रही हैं। नतीजतन समुद्र में तेल के भंडार लगातार बढ़ रहे हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार, समुद्र में मौजूद रूसी कच्चे तेल का भंडार 38 करोड़ बैरल से अधिक हो गया है — जो सितंबर की तुलना में 8% ज्यादा है।

तीनों देशों पर असर और रणनीति

रूस के समुद्री रास्ते से निर्यात होने वाले तेल का 95% से ज्यादा हिस्सा भारत, चीन और तुर्की खरीदते हैं। अब जब इन देशों ने अपनी खरीद कम कर दी है, तो रूस के लिए उसकी भरपाई लगभग नामुमकिन हो गई है।

  • भारत: देश के बड़े तेल रिफाइनर, जो प्रतिदिन करीब 10 लाख बैरल रूसी तेल खरीदते थे, उन्होंने खरीद अस्थायी रूप से रोक दी है।
  • चीन: सरकारी और निजी रिफाइनर दोनों ही अमेरिकी पाबंदियों को देखते हुए रूसी कार्गो रद्द कर रहे हैं।
  • तुर्की: रूस का तीसरा सबसे बड़ा ग्राहक अब इराक, लीबिया, सऊदी अरब और कजाकिस्तान जैसे विकल्पों की ओर रुख कर रहा है।

रूस की कमाई में गिरावट

तेल निर्यात घटने से रूस की आर्थिक कमर झुकने लगी है। आंकड़ों के अनुसार, 2 नवंबर तक के 28 दिनों में रूस की साप्ताहिक निर्यात आय करीब 9 करोड़ डॉलर घटकर 1.36 अरब डॉलर रह गई है।

निष्कर्ष

अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद रूस के तेल व्यापार की सबसे बड़ी चुनौती यह बन गई है कि बड़े खरीदार देश ही अब दूर हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हालात ऐसे ही रहे, तो आने वाले महीनों में रूस को ऊर्जा बाजार में गंभीर आर्थिक झटका लग सकता है।

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