Wednesday, November 5

तेलंगाना में शराब इंडस्ट्री का अल्टीमेटम: 10 नवंबर तक बकाया नहीं चुकाया तो ठप होगी सप्लाई, त्योहारों पर बिगड़ सकती है पार्टी

हैदराबाद। आने वाले क्रिसमस और न्यू ईयर सीजन से पहले तेलंगाना की शराब इंडस्ट्री (Alcobev Industry) और राज्य सरकार के बीच तनाव बढ़ गया है। उद्योग संगठनों ने सरकार को 10 नवंबर तक 3,000 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान की अंतिम चेतावनी दी है। यदि भुगतान नहीं हुआ, तो त्योहारी सीजन के दौरान शराब की आपूर्ति रोकने की तैयारी है। इसका सीधा असर राज्य में होने वाली पार्टियों और होटल-रेस्टोरेंट कारोबार पर पड़ सकता है।

त्योहारों से पहले संकट के आसार
शराब निर्माताओं का कहना है कि दिसंबर में क्रिसमस और न्यू ईयर के दौरान शराब की डिमांड सामान्य से करीब 1.75 गुना अधिक बढ़ जाती है। ऐसे समय में यदि सप्लाई रुकती है, तो राज्य में बड़े पैमाने पर कमी देखने को मिल सकती है।

तीन प्रमुख संस्थाओं ने दी चेतावनी
तेलंगाना सरकार को चेतावनी देने वालों में Brewers Association of India (BAI), International Spirits and Wines Association of India (ISWAI) और Confederation of Indian Alcoholic Beverage Companies (CIABC) शामिल हैं।
इन संस्थाओं ने सरकार से आग्रह किया है कि लंबित भुगतान तुरंत जारी किए जाएं, ताकि सप्लाई चैन सामान्य रह सके।

बकाया रकम के आंकड़े चौंकाने वाले
उद्योग निकायों के अनुसार, राज्य सरकार पर जुलाई माह का ₹697 करोड़, अगस्त का ₹614 करोड़, सितंबर का ₹1,010 करोड़ और अक्टूबर का ₹484 करोड़ बकाया है। यानी कुल ₹2,805 करोड़ का भुगतान अटका हुआ है।

सरकार के पास धन की कमी नहीं!
उद्योग संगठनों का कहना है कि सरकार ने हाल ही में नए शराब खुदरा लाइसेंस जारी किए हैं, जिनसे आवेदन शुल्क के रूप में ही करीब ₹3,000 करोड़ रुपये की वसूली हुई है। इसके बावजूद पिछले चार महीनों में भुगतान आधे से भी कम रह गया है।

38,000 करोड़ का वार्षिक योगदान देने वाली इंडस्ट्री परेशान
अल्कोबेव सेक्टर तेलंगाना के राजस्व का बड़ा स्तंभ है, जो हर साल राज्य सरकार के खजाने में ₹38,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान करता है। यह उद्योग रोजगार, खुदरा और आतिथ्य क्षेत्रों को मजबूत बनाए रखता है।

संभावित असर
यदि सरकार ने समय रहते बकाया नहीं चुकाया, तो सप्लाई रुकने से न केवल शराब की दुकानों में स्टॉक की कमी होगी, बल्कि होटल, रेस्टोरेंट और बार व्यवसाय पर भी बड़ा असर पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति उपभोक्ताओं और सरकार दोनों के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकती है।

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