
नई दिल्ली: सर्दियों की दस्तक के साथ ही दिल्ली-एनसीआर की हवा एक बार फिर जहरीली हो गई है। सुबह-सुबह की धुंध और धुएं की मोटी चादर ने लोगों का सांस लेना मुश्किल कर दिया है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर माह में देश के सबसे प्रदूषित 10 शहरों में सभी दिल्ली-एनसीआर के ही थे।
🔹 एनसीआर का धारूहेड़ा सबसे प्रदूषित शहर
रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा का धारूहेड़ा 123 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के औसत PM2.5 स्तर के साथ देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा। वहीं, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली 107 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के साथ छठे स्थान पर रही।
सर्दियों की शुरुआत के साथ ही हवा में प्रदूषक कणों की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ गई है। मंगलवार को दिल्ली का AQI 291 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में है। एक दिन पहले यह 309 (‘बहुत खराब’) था। विशेषज्ञों का कहना है कि बुधवार से हवा की गुणवत्ता और बिगड़ सकती है।
🔹 सबसे प्रदूषित 10 शहरों की लिस्ट
CREA रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2025 के सबसे प्रदूषित शहर इस प्रकार हैं:
- धारूहेड़ा (हरियाणा) – 123 µg/m³
- रोहतक (हरियाणा)
- गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
- नोएडा (उत्तर प्रदेश)
- बल्लभगढ़ (हरियाणा)
- दिल्ली (राष्ट्रीय राजधानी)
- भिवाड़ी (राजस्थान)
- ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश)
- हापुड़ (उत्तर प्रदेश)
- गुड़गांव (हरियाणा)
दिल्ली-एनसीआर के इन सभी शहरों में प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय औसत मानक (60 µg/m³) और WHO गाइडलाइन (15 µg/m³) से कई गुना अधिक रहा।
🔹 पराली नहीं, सालभर के उत्सर्जन हैं असली कारण
दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी इस बार 6% से भी कम रही, बावजूद इसके हवा इतनी जहरीली हो गई। CREA की रिपोर्ट बताती है कि यह समस्या केवल मौसमी नहीं है — बल्कि सालभर चलने वाले औद्योगिक, वाहन और निर्माण प्रदूषण के कारण है।
विशेषज्ञ मनोज कुमार के अनुसार,
“सर्दी और त्योहार का मौसम प्रदूषण पैदा नहीं करता, बल्कि उसे सामने लाता है। अगर हम सेक्टर-वार प्रदूषण नियंत्रण की ठोस नीति अपनाएं तो इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की नीतियां प्रतिक्रियात्मक और मौसमी हैं, जबकि जरूरत है दीर्घकालिक योजनाओं की।
🔹 पिछले साल से भी ज्यादा खतरा
पिछले साल अक्टूबर में दिल्ली देश का सबसे प्रदूषित शहर थी, जहां औसत PM2.5 स्तर 111 µg/m³ दर्ज हुआ था। इस बार स्थिति में सुधार तो हुआ है, लेकिन NCR के अन्य शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर और भी बढ़ा है।
(संपादकीय टिप्पणी)
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की समस्या अब मौसमी चुनौती से आगे बढ़कर स्थायी संकट बन चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकारें केवल पराली पर ध्यान देने की बजाय सालभर के प्रदूषण स्रोतों — जैसे वाहन, निर्माण, और औद्योगिक उत्सर्जन — पर सख्त नियंत्रण लगाएं, तभी राजधानी की हवा सच में सांस लेने लायक बन पाएगी।