निकाय चुनाव आरक्षण मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा शपथपत्र

नैनीताल, 03 मार्च (एसडी न्यूज़ एजेंसी):: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने निकाय चुनावों में आरक्षण नियमावली को लेकर राज्य सरकार से शपथपत्र मांगा है। अदालत ने सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या आरक्षण प्रक्रिया संविधान के प्रावधानों के अनुरूप निर्धारित की गई है।

मामले की पृष्ठभूमि

राज्य सरकार द्वारा निकाय चुनावों में अध्यक्ष और मेयर पदों के लिए आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया को कुछ याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि सरकार की ओर से अपनाई गई आरक्षण प्रक्रिया में अनियमितताएं हैं और यह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करती है। इस मामले को लेकर कई नगर निकायों में विवाद खड़ा हो गया है।

हाईकोर्ट का निर्देश

हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार को आदेश दिया है कि वह अपने आरक्षण नियमों की वैधता को लेकर स्थिति स्पष्ट करे और इसके समर्थन में शपथपत्र प्रस्तुत करे। अदालत ने सरकार से यह भी पूछा है कि क्या आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया कानूनी रूप से उचित और पारदर्शी है।

सरकार का पक्ष

राज्य सरकार ने अपने पक्ष में तर्क दिया कि निकाय चुनावों के लिए आरक्षण प्रक्रिया पूरी तरह से कानूनी प्रावधानों के तहत निर्धारित की गई है। हालांकि, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार द्वारा अपनाई गई आरक्षण प्रणाली में कुछ वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है, जिससे असमानता पैदा हो रही है।

आगे की कार्रवाई

हाईकोर्ट की अगली सुनवाई में सरकार को अपने तर्कों को मजबूती से पेश करना होगा। इस मामले में न्यायालय का फैसला निकाय चुनावों के लिए आरक्षण नीति को प्रभावित कर सकता है। यदि अदालत आरक्षण प्रक्रिया में खामियां पाती है, तो सरकार को इसे दोबारा संशोधित करना पड़ सकता है, जिससे चुनाव कार्यक्रम भी प्रभावित हो सकता है।

विशेषज्ञों की राय

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अदालत इस मामले में आरक्षण नियमों को असंवैधानिक करार देती है, तो सरकार को नई नियमावली बनानी होगी। इससे निकाय चुनावों की तिथि में बदलाव भी संभव हो सकता है।

मीडिया संपर्क

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए संबंधित सरकारी विभागों, चुनाव आयोग के अधिकारियों और कानूनी विशेषज्ञों से संपर्क किया जा सकता है। उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता और स्थानीय प्रशासन से इस संबंध में आधिकारिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

(यह समाचार प्रकाशन योग्य है और विभिन्न समाचार पत्रों तथा मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रकाशित किया जा सकता है।)


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