
पटना, संवाददाता।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार सिर्फ पारंपरिक दलों – एनडीए और महागठबंधन – के बीच मुकाबला नहीं है। सियासी मैदान में कई नयी और उभरती पार्टियां भी उतर चुकी हैं, जो राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर रही हैं। इनमें द प्लूरल्स पार्टी (TPP), जनशक्ति जनता दल (JJP), विकास वंचित इंसान पार्टी (VVIP) और इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (IIP) जैसे नाम प्रमुख हैं। सवाल यही है कि क्या ये दल इस बार अपनी ‘बोहनी’ कर पाएंगे या पिछली बार की तरह फिर हाशिये पर रह जाएंगे?
पुष्पम प्रिया चौधरी की ‘द प्लूरल्स पार्टी’ (TPP)
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ी पुष्पम प्रिया चौधरी एक बार फिर बिहार की सियासत में बड़ा दांव खेल रही हैं। 2020 के चुनाव में जोरदार चर्चा के बावजूद ‘द प्लूरल्स पार्टी’ को नाकामी हाथ लगी थी। पुष्पम प्रिया ने उस समय खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन बिस्फी और बांकीपुर दोनों सीटों से हार का सामना करना पड़ा।
इस बार वह दरभंगा सीट से चुनाव लड़ रही हैं और उनकी पार्टी राज्य की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है, जिनमें आधी सीटों पर महिला प्रत्याशी होंगी। सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाली पुष्पम बिहार की राजनीति में नई सोच और नई शैली लाने का दावा कर रही हैं।
तेज प्रताप यादव का ‘जनशक्ति जनता दल’ (JJP)
राजद से निष्कासन के बाद तेज प्रताप यादव ने अपनी अलग पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJP) का गठन कर दिया है। वे खुद महुआ विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। उनकी पार्टी इस बार 22 सीटों पर उम्मीदवार उतार रही है। तेज प्रताप ने अपने भाई और राजद नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने तेजस्वी के क्षेत्र राघोपुर में प्रेम कुमार को प्रत्याशी बनाया है और कहा है कि “जनशक्ति जनता दल ही लालू जी की असली पार्टी है।”
तेज प्रताप का यह कदम यादव परिवार और राजद समर्थकों के बीच नई राजनीतिक खींचतान को जन्म दे रहा है।
प्रदीप निषाद की ‘विकास वंचित इंसान पार्टी’ (VVIP)
मुकेश सहनी के पूर्व सहयोगी प्रदीप निषाद ने VIP से अलग होकर ‘विकास वंचित इंसान पार्टी (VVIP)’ बनाई है। यह पार्टी तेज प्रताप यादव की JJP के साथ चुनावी गठबंधन में है।
प्रदीप निषाद का आरोप है कि मुकेश सहनी ने निषाद समाज का सिर्फ राजनीतिक उपयोग किया। उनका कहना है कि अब बिहार के निषाद मतों में बंटवारा तय है। VVIP पार्टी की एंट्री से बिहार के पिछड़े वर्ग की राजनीति में नया समीकरण बन सकता है।
आइपी गुप्ता की ‘इंडियन इंक्लूसिव पार्टी’ (IIP)
कांग्रेस से अलग होकर इंद्रदीप प्रसाद गुप्ता (आइपी गुप्ता) ने 2023 में इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (IIP) की स्थापना की। पान, तांती और ततवा जाति समूहों के प्रभावशाली नेता माने जाने वाले आइपी गुप्ता अब बिहार की राजनीति में तेजी से उभर रहे हैं।
2023 के जातीय सर्वे के अनुसार, पान जाति समूह की आबादी लगभग 22 लाख (2%) है — और IIP इसी आधार पर राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है।
महागठबंधन में उन्हें तीन सीटें मिली हैं, जिनमें से वे खुद सहरसा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनके अन्य प्रत्याशी जमालपुर और बेलदौर से मैदान में हैं।
‘आजाद समाज पार्टी (कांशीराम)’ और ‘अपनी जनता पार्टी’ की भी एंट्री
उत्तर प्रदेश की ‘आजाद समाज पार्टी (कांशीराम)’ और ‘अपनी जनता पार्टी’ ने इस बार बिहार में भी चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। दोनों ने असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM से गठबंधन किया है।
‘आजाद समाज पार्टी’ दलित वर्ग की 25 सीटों पर और ‘अपनी जनता पार्टी’ 4 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रही है।
राजनीतिक विश्लेषण : नई लहर या सिर्फ शोर-शराबा?
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ये नयी पार्टियां भले ही सरकार बनाने की स्थिति में न हों, लेकिन इनका असर मुख्य दलों के वोट बैंक पर पड़ सकता है। विशेषकर यादव, निषाद और पिछड़ी जातियों के बीच वोट बिखराव की संभावना से बड़े गठबंधनों की रणनीति प्रभावित हो सकती है।
निष्कर्ष:
बिहार की सियासत में यह चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि नई राजनीति की संभावनाओं का भी इम्तिहान है।
अब देखना यह होगा कि क्या TPP, JJP, VVIP और IIP जैसी नयी पार्टियां जनता का दिल जीतकर इतिहास रचेंगी, या फिर एक बार फिर बड़े दलों की चकाचौंध में खो जाएंगी।