Monday, November 3

संजौली मस्जिद का अवैध हिस्सा दो माह में गिराने का आदेश, नहीं माने तो नगर निगम करेगा कार्रवाई — शिमला कोर्ट का बड़ा फैसला

शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की जिला अदालत ने विवादित पांच मंजिला संजौली मस्जिद को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड और संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष को आदेश दिया है कि वे मस्जिद के संपूर्ण अवैध हिस्से को दो माह के भीतर गिरा दें। अन्यथा शिमला नगर निगम यह कार्रवाई दोनों संस्थाओं के खर्चे पर स्वयं करेगा।

यह फैसला अतिरिक्त जिला न्यायाधीश यजुवेंद्र सिंह की अदालत ने शनिवार को सुनाया, जिसने पूरे शहर में चर्चा का विषय बना दिया है।

कोर्ट ने कहा — जमीन वक्फ बोर्ड की नहीं, राज्य सरकार की है

अदालत के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार जिस भूमि पर यह मस्जिद बनी है, वह वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं है, बल्कि अब भी राज्य सरकार के नाम दर्ज है। चूंकि यह क्षेत्र नगर निगम शिमला की सीमा में आता है, इसलिए यहां निर्माण के लिए नगर निगम अधिनियम के प्रावधान लागू होते हैं।

वक्फ बोर्ड और कमेटी की अपीलें खारिज

अदालत ने वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी की अपीलों को खारिज करते हुए नगर आयुक्त भूपेंद्र कुमार अत्री के 3 मई को दिए गए आदेश को वैध और तथ्यों पर आधारित बताया। उस आदेश में मस्जिद की भूतल और पहली मंजिल को गिराने का निर्देश दिया गया था। अदालत ने कहा कि नगर आयुक्त ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही निर्णय दिया था।

हाईकोर्ट में जाएगी मस्जिद कमेटी

संजौली मस्जिद समिति के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे, और जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे।

2010 में हुआ था अवैध निर्माण

नगर निगम के रिकॉर्ड के अनुसार, मस्जिद का अवैध निर्माण वर्ष 2010 में शुरू हुआ था। शुरुआत में पुरानी मस्जिद को गिराकर भूतल का पुनर्निर्माण किया गया, जिसका क्षेत्रफल 117.37 वर्गमीटर था। यह निर्माण बिना अनुमोदित नक्शे के किया गया था। इसके बाद चार और मंजिलें जोड़ दी गईं।

पहले हटाई गई थीं ऊपरी मंजिलें

पिछले वर्ष 5 अक्टूबर को मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष ने स्वेच्छा से ऊपरी तीन मंजिलें (दूसरी, तीसरी और चौथी) हटाने पर सहमति दी थी। नगर आयुक्त की अदालत ने इस अनुरोध को स्वीकार किया था। हालांकि, जिला अदालत में नगर निगम ने बताया कि अब तक केवल चौथी मंजिल पूरी तरह हटाई गई है, जबकि दूसरी और तीसरी मंजिल के कुछ हिस्से अब भी मौजूद हैं

वन विभाग की सख्त चेतावनी

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मस्जिद के निर्माण की मंजूरी और नियंत्रण का अधिकार केवल वक्फ बोर्ड के पास है, और नगर निगम को इस संबंध में पूर्ण अधिकार प्राप्त हैं कि वह अवैध निर्माण पर कानूनी कार्रवाई करे।
निष्कर्ष:
संजौली मस्जिद विवाद पर अदालत का यह निर्णय शिमला में अवैध निर्माणों के खिलाफ एक सख्त मिसाल के रूप में देखा जा रहा है। अदालत ने साफ कहा है — “कानून के आगे कोई भी संस्था बड़ी नहीं है।”

यह फैसला न केवल कानूनी पारदर्शिता, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही को भी मजबूत करने वाला साबित होगा।

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