
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर द्वारा वंशवाद की राजनीति को भारतीय लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा बताने के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। थरूर के इस बयान ने जहां बीजेपी नेताओं की तारीफ बटोरी है, वहीं कांग्रेस के भीतर उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
थरूर ने अपने लेख ‘इंडियन पॉलिटिक्स आर ए फैमिली बिजनेस’ में साफ तौर पर कहा कि वंशवाद और परिवारवाद ने देश के लोकतंत्र की गुणवत्ता को कमजोर किया है। उन्होंने लिखा, “जब राजनीतिक शक्ति किसी की काबिलियत, प्रतिबद्धता या जनता से जुड़ाव की जगह खानदान से तय होती है, तो शासन की गुणवत्ता घट जाती है।”
शहजाद पूनावाला की चेतावनी — “सर, आपके लिए प्रार्थना कर रहा हूं…”
थरूर के इस लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सोशल मीडिया पर लिखा —
“यह लेख बेहद पैनी नजर वाला है। लेकिन पता नहीं इतनी बेबाकी से बोलने के लिए डॉ. थरूर को क्या नतीजे भुगतने पड़ेंगे। जब मैंने 2017 में राहुल गांधी को ‘नेपो नामदार’ कहा था, तब मेरे साथ क्या हुआ था, यह सबको पता है। सर, आपके लिए प्रार्थना कर रहा हूं… ‘फर्स्ट फैमिली’ बहुत ही बदला लेने वाली है।”
पूनावाला ने आगे लिखा कि थरूर अब “खतरों के खिलाड़ी” बन चुके हैं, क्योंकि उन्होंने गांधी परिवार और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर सीधा निशाना साधा है।
थरूर का निशाना — “जब सरनेम बन जाए योग्यता का पैमाना”
थरूर ने अपने लेख में कांग्रेस के साथ-साथ समाजवादी पार्टी, डीएमके, टीएमसी और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे दलों में फैले वंशवाद की प्रवृत्ति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने लिखा —
“यह तब और खतरनाक हो जाता है जब किसी उम्मीदवार की सबसे बड़ी योग्यता उसका सरनेम हो। ऐसी राजनीति लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करती है।”
पृष्ठभूमि — 2017 में पूनावाला भी उठा चुके थे सवाल
गौरतलब है कि शहजाद पूनावाला भी 2017 में कांग्रेस के संगठनात्मक चुनावों को “सिर्फ दिखावा” बताकर पार्टी से अलग हो गए थे। उस समय राहुल गांधी को सोनिया गांधी की जगह कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था। पूनावाला का कहना है कि उन्होंने तब भी पार्टी में “वंशवाद” का विरोध किया था — और अब वही रास्ता थरूर ने अपनाया है।
थरूर के इस बयान से कांग्रेस के भीतर असहजता बढ़ी है, जबकि बीजेपी इसे कांग्रेस के अंदर “विचारों की दरार” के तौर पर देख रही है।