
इंदौर। मिथिला की सुगंध, लोकगीतों की मधुर धुन और भाई-बहन के स्नेह से ओतप्रोत वातावरण में मेघदूत गार्डन में सामा-चकेवा महोत्सव का रंगारंग आयोजन हुआ। पारंपरिक परिधान और उत्साह से लबरेज माहौल में इंदौर सखी बहिनपा मैथिलानी समूह की महिलाओं ने इस लोक पर्व को पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया।
कार्यक्रम की शुरुआत सामूहिक पूजा-अर्चना से हुई, जहां महिलाओं ने मिट्टी से सामा-चकेवा की प्रतिमाएं स्वयं तैयार कीं और उन्हें बांस के डाले (टोकरियों) में सजा कर पारंपरिक विधि से पूजन किया। मैथिली लोकगीतों की सुरीली लहरियों के बीच महिलाओं ने सामा के प्रतीक को एक-दूसरे के हाथों में घुमाते हुए ‘चुगला’ और ‘वृंदावन’ का प्रतीकात्मक दहन कर पारंपरिक रीतियों का निर्वहन किया।
समूह की प्रमुख ऋतु झा ने बताया कि “सामा-चकेवा मिथिला का अत्यंत लोकप्रिय लोक पर्व है, जो भाई-बहन के प्रेम, आस्था और मंगलकामना का प्रतीक है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल सप्तमी से आरंभ होकर कार्तिक पूर्णिमा तक मनाया जाता है। सात दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में बहनें अपने भाइयों की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।”
कार्यक्रम में उपस्थित सुषमा झा, श्वेता मिश्रा और सोनी झा ने कहा, “सामा-चकेवा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि मिथिला की समृद्ध लोक-संस्कृति और पारिवारिक भावनाओं का जीवंत प्रतीक है। यह नई पीढ़ी को हमारी परंपराओं और सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का सुंदर माध्यम है।”
महोत्सव के दौरान पूरे परिसर में मिथिला की संस्कृति, स्नेह और संगीत की सौंधी खुशबू फैली रही। महिलाओं की टोली द्वारा गाए गए पारंपरिक गीतों ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सामा-चकेवा की प्रतिमाओं का विसर्जन विधिवत रूप से किया जाएगा, जिसके साथ यह लोक पर्व संपन्न होगा।
📸 मिथिला की माटी की महक और लोकगीतों की गूंज से गूंजा इंदौर का मेघदूत गार्डन — सामा-चकेवा महोत्सव बना सांस्कृतिक एकता का प्रतीक।