
sd news agency | भारत के वाणिज्यिक निर्यात में जनवरी 2025 में 2.4 प्रतिशत की गिरावट आई, जो वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों से स्पष्ट हुआ। इस गिरावट के साथ, जनवरी 2025 में निर्यात का कुल मूल्य 36.43 अरब डॉलर रहा, जबकि पिछले वर्ष यानी जनवरी 2024 में यह आंकड़ा 37.32 अरब डॉलर था।
निर्यात घटने के कारण:
- वैश्विक मांग में कमी: महामारी के बाद, वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी और विभिन्न देशों में आर्थिक अनिश्चितता के कारण भारत के निर्यात बाजारों में मांग कम हुई है। इससे भारतीय उत्पादों की वैश्विक खपत पर असर पड़ा है।
- जवाबदेह व्यापारिक नीतियाँ: कुछ देशों के साथ व्यापारिक प्रतिबंधों, शुल्कों और अन्य नीतियों के कारण भारत का निर्यात प्रभावित हुआ है।
- रुपये की तुलना में डॉलर की कीमत: भारतीय मुद्रा रुपये की कमजोरी भी निर्यात पर असर डाल सकती है, क्योंकि इससे भारतीय उत्पादों की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ जाती है, जो मांग को प्रभावित कर सकती है।
- आपूर्ति श्रृंखला की समस्याएं: 2024 के अंत तक कुछ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में समस्याएं उत्पन्न हुईं, जिससे भारत की उत्पादन और निर्यात प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर पड़ा।
निर्यात क्षेत्र में विविधता:
हालांकि, निर्यात में गिरावट आई है, भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बनाए रखी है, जैसे कि सूचना प्रौद्योगिकी, औद्योगिक उत्पाद, रसायन, रविभा (textile), और दवाइयां। निर्यातक कंपनियाँ इन क्षेत्रों में नई रणनीतियों के साथ ग्राहकों के साथ जुड़ी हुई हैं, जिससे निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावना बनी रहती है।
आगे का रास्ता:
वाणिज्य मंत्रालय ने सरकार की विभिन्न वाणिज्यिक नीति पहलों का हवाला दिया है, जो निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाई गई हैं। सरकार ने व्यापारिक सहयोग और स्थिर आपूर्ति श्रृंखला के विकास के लिए कदम उठाए हैं। साथ ही डिजिटल समावेशन और हथियार निर्यात जैसी नई योजनाओं के माध्यम से भारत अपने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है।
यह निर्यात में गिरावट भारत की अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय हो सकता है, लेकिन इसके बावजूद देश ने विकसित बाजारों में निर्यात का विस्तार किया है।
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