श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे ।
पिण्डवाड़ा :
शहर के उदयपुर रोड स्थित श्री काशी बाबा आश्रम में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। कृष्ण जन्म के प्रसंग शुरू होते ही पांडाल में मौजूद श्रद्धालु नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की भजनों के साथ झूम उठे। वहीं श्रद्धालुओं ने मक्खन मिश्री के प्रसाद का भोग लगाकर वितरित किया।
जानकारी के अनुसार श्रीमद भागवत ज्ञान महोत्सव के पंचम दिन की सतसंग कथा में अन्तराष्ट्रीय राम स्नेही सम्प्रदाय के मंहत भजनाराम महाराज ने श्रोताओं से कहा कि व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए, अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बडा शत्रु है। जीवन में जब भी भगवत नाम सुनने का अवसर प्राप्त हो, उससे विमुख नहीं होना चाहिए। भागवत महापुराण के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए बताया कि जब जब धरती पर अधर्म बढ़ता है, तब तब परमात्मा अवतार धारण करके धरती पर धर्म की स्थापना करते हैं।
श्रीमद भागवत मुख्य कथावक्ता मनसुख राम महाराज ने पंचम दिन शुक्रवार को विभिन्न प्रसंगों पर कथा सुनाई, उन्होने कृष्ण जन्म की कथा के पूर्व भगवान राम के अवतार की लीला का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने आदर्श स्थापित किया है, वह आज भी प्रासंगिक है। राम जन्म, ताड़का वध, राम विवाह, वनवास, रावण वध सहित राम राज्याभिषेक पर सुन्दर व्याख्यान दिया। तत्पश्चात उन्होंने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाया। महाराज नें कहा कि द्वापर में जब कंस के अत्याचार बढे तो श्रीकृष्ण ने अवतार लेकर मुक्ति दिलाई। श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। कथा में श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के दौरान नन्द के आनन्द भयो जय कन्हैयालाल की एवं अन्य आनन्द भक्ति गीत की धुन पर कई महिला पुरूष श्रृदालु खडे होकर नृत्य करते हुए भक्ति में झुमते दिखे। पंचम दिन की कथा पुर्ण होने पर भागवत भगवान की सामुहिक आरती हुई और प्रसाद वितरण की गई। प्रसादी का लाभ दिनेश कुमार कान्तिलाल मालवीया परिवार द्वारा लिया गया। कथा महोत्सव के दौरान मुमक्षीराम महाराज आमेट का भी पावन सानिध्य रहा।
इनकी रही उपस्थिति- इस अवसर पर अचल सिंह बालिया, भरत गर्ग, सोहनलाल मेवाडा, शनिदेव मंदिर समिति के रमेश लौहार, शक्तिमाता ट्रस्ट अध्यक्ष कन्हैलाल सोनी, फकाराम प्रजापत, शान्ति लाल सोनी, मोहन लाल प्रजापत, गणेशराम हिरागर, पुजारी पुरषोत्तम रावल, प्रचारक बलवन्तसिंह परमार, रमेश सोनी, सहित सैकडो श्रृदालुओं की मौजूदगी रही।
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