थैलेसीमिया पीड़ितों के लिए बेस्ट है यह डे केयर सेंटर, नोट कर लें पता

[ad_1]

सिरोही. किसी अस्पताल में एक्सीडेंट या सर्जरी के समय मरीज को खून की जरूरत पड़ती है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे सेंटर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आने वाले मरीजों को हर महीने खून की जरूरत पड़ती है. वो भी एक-दो यूनिट नहीं बल्कि 90 यूनिट से अधिक रक्त की आवश्यकता होती है. हम बात कर रहे हैं सिरोही जिले में बने थैलेसीमिया डे केयर सेंटर की. जोधपुर के बाद एक मात्र थैलेसीमिया डे केयर सेंटर की शुरुआत 6 वर्ष पहले 2018 हुई थी. संकल्प इंडिया फाउंडेशन, ग्लोबल अस्पताल और रोटरी क्लब के तत्वावधान में आबूरोड तलहटी में इस सेंटर की स्थापना की गई थी.

बेंगलुरू से चिकितसक करते हैं मॉनिटरिंग

वर्तमान में इसमें 49 थैलेसीमिया मरीज है और इनमें से 44 मरीज नियमित है. इन मरीजों का हर ​निर्धारित समयावधि में चैकअप और खून चढ़ाया जाता है. इसमें कुछ बच्चों को महीने में दो बार और कुछ मरीजों को एक बार में एक यूनिट से अधिक रक्त भी चढ़ाया जाया है. थैलेसीमिया मरीजों की जांच और मॉनिटरिंग के लिए यहां अत्याधुनिक मशीन और अन्य तरह की व्यवस्थाएं की गई है. सेंटर में लगे वेबकेम के जरिए बेंगलुरू में थैलेसीमिया के एक्सपर्ट चिकित्सक मॉनिटरिंग करते हैं.

गुजरात और मध्यप्रदेश से भी आते हैं मरीज

यहां आने वाले थैलेसीमिया मरीजों में अधिकांश बच्चे हैं. ऐसे में इन बच्चों को यहां आकर परेशानी ना हो, इसके लिए यहां खेलकूद के लिए अलग से जगह बनाई गई है. बच्चों के लिए सुंदर कार्टून, पें​टिंग और खिलौने रखे गए हैं. बच्चों के खाने-पीने की वस्तुओं की भी रोटरी क्लब के राजेंद्र बाक्लीवाल द्वारा हर माह व्यवस्था की जाती है. यहां भर्ती मरीजों में ​अधिकांश सिरोही जिले से हैं. इसके अलावा जालोर, पाली के अलावा गुजरात के बनासकांठा और साबरकांठा से मरीज आते हैं. वहीं सबसे दूर मध्यप्रदेश के नीमच से एक मरीज हर माह यहां जांच व रक्त चढ़ाने के लिए लाया जाता है.

क्या है थैलेसीमिया बीमारी

सेंटर के प्रभारी धर्मेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि पूरे जोधपुर संभाग में जोधपुर के बाद यह एक मात्र थैलेसीमिया डे केयर सेंटर हैं. यहां मरीजों के लिए ट्रांसफ्यूजन, मेडिसिन, जांच समेत अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती है. थैलेसीमिया बीमारी एक आनुवांशिक बीमारी है. इसमें एक थैलेसीमिया माइनर और एक मेजर मरीज होते हैं. यदि माता-पिता थैलेसीमिया माइनर है, तो ज्यादा संभावना रहती है कि बच्चे को थैलेसीमिया होगा. इसमें नियमित समय में बच्चे को ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है, ताकि मरीज का जीवन चलता रहे.

Tags: Health Facilities, Local18, Rajasthan news, Sirohi news

[ad_2]

Source link


Discover more from सच्चा दोस्त न्यूज़

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Back To Top

Discover more from सच्चा दोस्त न्यूज़

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading