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वाहन मालिक वाहनों की फिटनेस कराने के लिए फिटनेस ट्रैक पर जाते हैं तो उन्हें एजेंसी को निर्धारित निरीक्षण शुल्क देना होता है। निरीक्षण में छोटी-मोटी खामी मिलने पर भी उनसे दुरुस्त कराकर लाने को कहा जाता है। जब वाहन मालिक खामी दुरुस्त कराकर पहुंचता तो उनसे निरीक्षण के नाम पर पुन: शुल्क वसूल लिया जाता है।
Publish Date: Thu, 01 Aug 2024 01:46:47 PM (IST)
Updated Date: Thu, 01 Aug 2024 01:46:47 PM (IST)
HighLights
- वाहन मालिकों ने निजी फिटनेस ट्रैक संचालकों के खिलाफ खोल दिया है मोर्चा।
- आरटीओ कोकता में बने फिटनेस ट्रैक की पुरानी व्यवस्था फिर शुरू करने की मांग।
- कान्हासैया में बना आटोमेटेड फिटनेस ट्रैक वाहन मालिकों को रास नहीं आ रहा है।
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। राजधानी में भले ही बीते दो सप्ताह से परिवहन विभाग ने वाहनों की फिटनेस व्यवस्था निजी हाथों में दे दी है, लेकिन आटोमेटेड फिटनेस ट्रैक पर वाहनों की फिटनेस कराना वाहन मालिकों को रास नहीं आ रहा है। व्यावसायिक वाहन मालिकों से निजी एजेंसी द्वारा निरीक्षण शुल्क दो बार वसूला जा रहा है। इससे नाराज वाहन मालिक फिटनेस ट्रैक को बंद करने व आरटीओ कोकता में बने फिटनेस ट्रैक की पुरानी व्यवस्था फिर से शुरू करने की मांग कर रहे हैं। कान्हासैया में बना आटोमेटेड फिटनेस ट्रैक वाहन मालिकों को रास नहीं आ रहा है।
दरअसल, नए फिटनेस ट्रैक पर वाहन मालिकों से लूट शुरू हो गई है। जैसे ही वाहन मालिक वाहनों की फिटनेस कराने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के बाद फिटनेस ट्रैक पर जाते हैं तो उन्हें एजेंसी को निर्धारित निरीक्षण शुल्क देना होता है। इसके बाद ही एजेंसी के कर्मचारी गाड़ी चेक करते हैं। एजेंसी द्वारा निरीक्षण शुल्क लिया जाता है। ऐसे में वाहनों में जैसे हार्न काम नहीं करता हुआ मिलता है या फिर रेडियम पट्टी नहीं लगी है तो वाहनों को वापस भेजा जा रहा है। खामियां पूरी करने के बाद जैसे ही वाहन मालिक फिर से आते हैं, तो उनसे फिर से निरीक्षण शुल्क लिया जा रहा है।
यह है निरीक्षण शुल्क (इसमें 18 प्रतिशत जीएसटी भी लगता है)
400 रुपये – मोटर साइकिल।
600 रुपये – तीन पहिया व हल्का चार पहिया वाहन।
1000 रुपये – मध्यम व भारी मोटर वाहन।
केस- एक
गोविंदपुरा से 25 जुलाई को लोडिंग वाहन मालिक मुकेश फिटनेस कराने आए। पहले उन्होंने 718 रुपये वाहन का निरीक्षण शुल्क जमा किया। जब एजेंसी के निरीक्षण टीम ने वाहन को देखा तो हार्न चालू नहीं मिला और रेडियम पट्टी भी नहीं दिखी। एजेंसी कर्मचारी ने कमियां दूर करने बाद ही फिटनेस करने का कह दिया। मुकेश फिर से आए और दोनों कमियां पूरी करा वाहन को लेकर पहुंचे। उनसे एजेंसी ने निरीक्षण के लिए फिर से 718 रुपये लिए।
केस- दो
एम्स क्षेत्र से व्यावसायिक कार की फिटनेस कराने आए राजेंद्र कुमार श्रीवास्तव को फिटनेस कराने में दो दिन लग गए, जबकि एजेंसी आठ से 10 मिनट में फिटनेस कराने का दावा करती है। इन्हें पहले बताया ही नहीं कि गाड़ी में ये कमी है, उसे पूरा करके लाओ, तभी निरीक्षण शुल्क लेंगे। ऐसे में इन्हें फिटनेस कराने के लिए परेशान होना पड़ा।
लोगों की सुविधा के लिए ही वाहनों की फिटनेस व्यवस्था बदली है। नई व्यवस्था में 100 प्रतिशत सुचारु चलने में थोड़ा समय लगता है। नियमानुसार वाहन मालिक फिटनेस कराएं।
– जितेंद्र शर्मा, प्रभारी आरटीओ, भोपाल
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