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सट्टेबाजों को पहली बार जेल भेजा गया है, क्योंकि इन पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 112 के तहत संगठित अपराध की एफआईआर दर्ज की गई। पहले तो गेंबलिंग एक्ट की एफआईआर होती थी तो थाने से ही छूट जाते थे
Edited By: Paras Pandey
Publish Date: Thu, 01 Aug 2024 10:10:13 PM (IST)
Updated Date: Thu, 01 Aug 2024 10:10:13 PM (IST)
HighLights
- संगठित अपराध की पहली एफआईआर दर्ज
- क्रिकेट पर ऑनलाइन सट्टा लगवाने वालों पर नए कानून का शिकंजा
- शहर में संगठित अपराध की पहली एफआईआर भी दर्ज हो गई
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। महादेव सट्टा ऐप के जरिये क्रिकेट पर ऑनलाइन सट्टा लगवा रहे सात इंटरस्टेट सट्टेबाजों को क्राइम ब्रांच की टीम ने पकड़ा है। सट्टेबाज महादेव सट्टा एप की ही रेडी बुक नाम की लाइन के जरिये सट्टा लगवा रहे थे। इनके पास से सैंकड़ों क्लाइंट आईडी मिली हैं।
इन सट्टेबाजों पर एफआईआर के साथ ही शहर में संगठित अपराध की पहली एफआईआर भी दर्ज हो गई। अब तक संगठित तरीके से अपराध करने वाली किसी गैंग पर एफआईआर नहीं हुई थी।
सिटी सेंटर के महलगांव स्थित नगर निगम की मल्टी में स्थित फ्लैट के अंदर क्रिकेट पर सट्टा लगाए जाने की खबर मिली थी। क्राइम ब्रांच के एएसपी सियाज केएम ने क्राइम ब्रांच प्रभारी अजय पवार और उनकी टीम को घेराबंदी में लगाया। फ्लैट नंबर 405 में क्राइम ब्रांच की टीम ने छापा मारा। यहां सात सट्टेबाज क्रिकेट पर ऑनलाइन सट्टा लगवाते मिले।
बाकायदा सट्टे का कॉल सेंटर ही यहां से संचालित हो रहा था। इनके पास से दो लैपटाप, 11 मोबाइल, 10 डेबिट कार्ड, पांच चेकबुक, दो बैंक पासबुक, दो रजिस्टर और आठ हजार 590 रुपये बरामद हुए। सट्टे का लाखों का आनलाइन ट्रांजेक्शन भी मिला।
यह सट्टेबाज पकड़े गए
सौरभ पुत्र उमेश शर्मा निवासी भिलाई, छत्तीसगढ़, इबरार अंसारी पुत्र आलम अंसारी निवासी कुंडा, देवघर, झारखंड, सैयद अली पुत्र नवाच अली निवासी हरीनगर थाना कोतवाली, दुर्ग छत्तीसगढ़, मोहित पुत्र बृजमोहन चौहान निवासी हनुमानगंज काढ़ा, थाना डबरा सिटी, ग्वालियर, पवन पुत्र हरिओम गोस्वामी निवासी बाबू दंडी की गोठ, माधोगंज, ग्वालियर, मोहित पुत्र रामगोपाल झा निवासी हनुमानगंज, डबरा सिटी, ग्वालियर, अली खान पुत्र रहीश खान निवासी इंद्रा कॉलोनी, बहोड़ापुर, ग्वालियर को पकड़ा है।
थाने से ही छूट जाते थे सट्टेबाज, इसी का फायदा उठाकर बेखौफ करते थे काला कारोबार, अब बढ़ी मुश्किल
क्रिकेट पर ऑनलाइन सट्टे का काला कारोबार शहर की गली-गली में फैल गया है। पहले गेंबलिंग एक्ट की एफआईआर होती थी, इसके चलते इन्हें थाने से ही छोड़ना पुलिस की मजबूरी होती थी। अब नए कानून में संगठित अपराध की धारा के तहत इस तरह के अपराधों में एफआईआर का प्रविधान है। इसलिए सट्टेबाज और इनके मददगारों की मुसीबत बढ़ेंगी।
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