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बाल रोग विशेषज्ञ डा. पीयूष पंचरत्न के अनुसार दूध पीने वाले बच्चों से लेकर पांच वर्ष तक के बच्चों पर डायरिया उल्टी का प्रकोप बढ़ रहा है। उनमें पानी की कमी हो रही है। जिन महिलाओं की चार से लेकर पांच माह पूर्व प्रसव हुआ है। उनके बच्चों को भी इसी तरह की बीमारी जकड़ रही है।
Publish Date: Thu, 01 Aug 2024 07:50:39 PM (IST)
Updated Date: Thu, 01 Aug 2024 07:50:39 PM (IST)
HighLights
- भीड़, उल्टी, दस्त, डायरिया, मलेरिया के मरीजों की संख्या ज्यादा।
- राजधानी के सरकारी अस्पतालों में लगी भीड़, संक्रमण का डर।
- तीन दिन रहता है वायरल का प्रकोप, बच्चों के मामले अधिक।
इनमें 400 से अधिक मरीज वायरल फीवर, डायरिया आदि मौसमी बीमारियों के उपचार के लिए पहुंचे। वहीं अस्पताल की पैथोलाजी में डेढ़ सैकड़ा से अधिक लोगों की मलेरिया की जांच की गई। इनमें सबसे अधिक वायरल बुखार, डायरिया, सर्दी-जुकाम, पेट दर्द, उल्टी की लोगों को शिकायत हो रही है।
जिला अस्पताल की ओपीडी में 666 पुरुष और 356 महिला मरीजों ने पंजीकरण कराकर चिकित्सकों से उपचार लिया। चिकित्सक अस्पताल आने वाले मरीजों को उपचार के साथ-साथ बीमारियों से बचाव के तरीके भी बता रहे हैं। यही हाल शाकिर अली, हमीदिया अस्पताल, जवाहरलाल नेहरू गैस राहत अस्पताल का भी है।
शाकिर अली में एक दिन की ओपीडी 700 से अधिक रही। हमीदिया अस्पताल में 1200 और गैस राहत जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में 767 मरीजों ने अपना उपचार कराया।
तीन दिन रहता है वायरल का प्रकोप
जिला अस्पताल सिविल सर्जन डा. राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि वर्षा से उल्टी, दस्त और बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ी है। इसका असर कम से कम तीन दिन रहता है। बुखार आने पर चिकित्सकों के परामर्श के बाद ही दवा लें। मौसमी बीमारियों के कारण अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। अस्पताल में सबसे अधिक बुखार के मरीज पहुंच रहे हैं। इनकी चिकित्सकों द्वारा रक्त की जांच कराई जा रही है। लेकिन, पैथोलाजी में कर्मचारियों की कमी होने से समस्याएं हो रही है।
बच्चों भी उल्टी-दस्त, डायरिया की चपेट में
वहीं नवजात से लेकर छह वर्ष तक के बच्चों में ज्यादा उल्टी दस्त और डायरिया की शिकायत बढ़ रही हैं। डाक्टरों द्वारा अभिभावकों को सलाह दी जा रही है कि वह अपने बच्चों का वर्षा के पानी से बचाव करें। सतर्कता से इस बीमारी से बचा जा सकता है। बीमारी का कारण पानी से फैलने वाला संक्रमण है।
शासकीय जिला अस्पताल जयप्रकाश में हर दिन 80 से 90 बच्चे आ रहे हैं। सुल्तानिया अस्पताल में इस प्रकार के लक्षणों के हर दिन 70 से लेकर 100 बच्चे पहुंच रहे हैं। काटजू अस्पताल में भी 100 से लगभग संख्या पहुंच रही है।
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