सुरक्षित गर्भ समापन को संस्थागत बनाने की पहल, काटजू महिला चिकित्सालय में शुरू होगा कांप्रिहेंसिव अबॉर्शन केयर सेंटर

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जल्द शुरू होगी यूनिट

गर्भपात कराने वाली महिलाओं के लिए इसी सप्ताह से यह यूनिट शुरू हो जाएगी। इसके लिए तीन चिकित्सकों का पैनल प्रशिक्षण दे रहा है। स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर खोले जा रहे इस केंद्र में दो डॉक्टरों और दो नर्सों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। सीएसी में लंबी कानूनी प्रक्रिया है। अगर 20 सप्ताह तक की प्रेग्नेंसी है, तो एक ही डाक्टर की मंजूरी से अबॉर्शन गा, जबकि 24 सप्ताह यानी छह माह तक का गर्भ है तो दो डाक्टर पूरे जांच परीक्षण के बाद इस काम को पूरा करने की प्रक्रिया पूरी करेंगे।

गर्भ समाप्ति के दौरान एमटीपी की प्रक्रिया अपनाई जाएगी

गर्भपात के दौरान एमटीपी (मेडीकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी) की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। कांप्रिहेंसिव अबॉर्शन केयर में लंबी प्रक्रिया है। इसके लिए फार्म भराया जाएगा। अगर सिर्फ महिला अबॉर्शन चाहती है, तो यह संभव नहीं होगा। इसके लिए पति की सहमति भी जरूरी होगी। दोनों ही सहमति के बाद पर्चा भरा जाएगा। उस पर हस्ताक्षर होंगे। इसके बाद विधिवत जांच की जाएगी। इसके बाद गर्भपात की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

इसलिए शुरू किया सेंटर

चिकित्सकों ने बताया कि कई महिलाएं अस्पताल आती हैं और बताती हैं कि बिना प्लानिंग के प्रिग्नेंसी आ गई है, जबकि परिवारिक परिस्थितियों के हिसाब से जरूरत नहीं थी। कई बार अन्य शारीरिक समस्याओं को लेकर महिलाएं बच्चा नहीं चाहती हैं। हर दिन ऐसी अनके महिलाएं अपनी परेशानी लेकर आती हैं।

महिलाओं को भी जागरूक कर रहे

यहां आने वाली महिलाओं को कांप्रिहेंसिव अबॉर्शन केयर (सीएसी) के लिए जागरूक भी किया जाता है। उन्हें बताया जाता है कि वह कब गर्भधारण करें। इस दौरान किन-किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए। ताकि जच्चा-बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहें। ऐसे कई बिंदुओं की महिलाओं को जानकारी दी जाएगी।

एमपीटी संशोधन अधिनियम-2021 के प्रमुख प्रविधान

अधिनियम के तहत गर्भनिरोधक विधि या उपकरण की विफलता के मामले में एक विवाहित महिला द्वारा 20 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त किया जा सकता है। यह विधेयक अविवाहित महिलाओं को भी गर्भनिरोधक विधि या डिवाइस की विफलता के कारण गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देता है।

– गर्भधारण से 20 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति के लिए एक पंजीकृत चिकित्सक की राय की आवश्यकता होती है।

– गर्भधारण के 20 से 24 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति के लिए दो पंजीकृत चिकित्सकों की राय आवश्यक होगी।

– भ्रूण से संबंधित गंभीर असामान्यता के मामले में 24 सप्ताह के बाद गर्भ की समाप्ति के लिए राज्य-स्तरीय मेडिकल बोर्ड की राय लेना जरूरी है।

– महिलाओं की विशेष श्रेणियों (इसमें दुष्कर्म तथा अनाचार से पीड़ित महिलाओं तथा अन्य कमजोर महिलाओं जैसे-दिव्यांग महिलाएं और नाबालिग आदि) के लिए गर्भकाल-गर्भावधि की सीमा को 20 से 24 सप्ताह करने का प्रावधान किया गया है।

-गर्भ को समाप्त करने वाली किसी महिला का नाम और अन्य विवरण, वर्तमान कानून में अधिकृत व्यक्ति को छोड़कर, किसी के भी समक्ष प्रकट नहीं किया जाएगा।

इनका कहना है

सभी जगहों पर गायनेकोलॉजिस्ट मौजूद नहीं होते हैं। इसलिए एमबीबीएस डॉक्टर व नर्सों को भी सीएसी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वह भी इस प्रक्रिया को पूरा कर सकें। इसमें 12 दिन डॉक्टरों और 13 दिनों तक नर्सों को प्रशिक्षण दिया जाता है। इसकी शुरुआत भी हो चुकी है।

-कर्नल पीके सिंह, अधीक्षक, कैलाशनाथ काटजू महिला अस्पताल

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