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सरई बोड़ा सब्जी बाजार में टमाटर को पीछे छोड़ते हुए अब शीर्ष पर है। इसकी मांग और आपूर्ति के बीच गहरी खाई है, जिससे कीमतों में गिरावट की संभावना कम है।
Publish Date: Thu, 04 Jul 2024 02:16:39 PM (IST)
Updated Date: Thu, 04 Jul 2024 02:16:39 PM (IST)
सरई बोड़ा सब्जी बाजार में टमाटर को पीछे छोड़ते हुए अब शीर्ष पर है। इसकी मांग और आपूर्ति के बीच गहरी खाई है, जिससे कीमतों में गिरावट की संभावना कम है। इसका प्रमुख कारण यह है कि सरई बोड़ा की खेती संभव नहीं है, यह केवल प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होता है। सरई बोड़ा मशरूम परिवार का एक अनोखा सदस्य है, जो जमीन की सतह पर उत्पन्न होता है। साल वृक्ष की सूखी पत्तियों के नीचे पनपने वाला यह मशरूम आदिवासी क्षेत्रों की महत्वपूर्ण सब्जियों में से एक है और उनकी आजीविका का भी साधन है।
मौसम की बड़ी भूमिका
पहली मानसून की बारिश के बाद उमस का दौर शुरू होता है। इस मौसम में साल के वृक्ष एक विशेष द्रव्य छोड़ते हैं, जो सूखी पत्तियों के नीचे गिरकर फंगस का रूप लेता है। यही फंगस आगे चलकर सरई बोड़ा का रूप धारण करता है।
खेती संभव नहीं
सरई बोड़ा फंगस की एक विशेष प्रजाति है, जिसकी खेती करना संभव नहीं है। जून और जुलाई के महीने में मात्र 35 दिनों के लिए यह उपलब्ध होता है। यह फंगस जमीन के ऊपर उत्पन्न होता है और वजन में हल्का होता है।
पोषक तत्वों से भरपूर
अनुसंधान से प्रमाणित हुआ है कि सरई बोड़ा में प्रचूर मात्रा में प्रोटीन, विटामिन और खनिज तत्व पाए जाते हैं। इसमें कार्बोहाइड्रेट की भी भरपूर मात्रा होती है, जो कुपोषण और पेट की बीमारियों को दूर करने में सहायक हैं। इसके साथ ही हृदय रोगों के लिए भी यह फायदेमंद है।
वर्जन
साल वृक्ष के नीचे उत्पन्न होने वाला सरई बोड़ा एक अद्वितीय फफूंद है। इसमें प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है। कुपोषण, दिल और पेट के रोगों के उपचार में यह मशरूम विशेष रूप से प्रभावी है।
अजीत विलियम्स
विज्ञानी (वानिकी)
बीटीसी
कालेज आफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर
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