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डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को राजद सरकार का दौर याद दिलाया। तेजस्वी को जंगलराज का युवराज बताया। उन्होंने कहा- जंगलराज के युवराज अब जंगलराज पर बोलते हैं, नेता प्रतिपक्ष जब ऐसा बोलते हैं तो अच्छा लगता है, क्योंकि जिस परिवार ने अपराध के बीज को बोया था, बिहार के अंदर नरसंहार, लूट, हत्या बालात्कार और अपहरण का उद्योग चलाया था। कम से कम आज उसके विरुद्ध ट्वीट करने की हिम्मत तो जुटाई है। इसके बाद सिन्हा ने तेजस्वी को चैलेंज दिया। सवाल में तल्खी के साथ तंज भी था। उन्होंने कहा- हिम्मत है अपने दल से अपराधियों को बाहर करने का, कसम खाएं कि अपराधियों को टिकट नहीं देंगे।
तेजस्वी यादव को बिहार को अपराध मुक्त करने के लिए खुलकर नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभानी चाहिए। हिम्मत है तो अपराधियों को संरक्षित नहीं करने की सार्वजनिक घोषणा करें। अपराध मुक्त बिहार चाहिए तो खुलकर बोलिए कि किसी भी अपराधी को संरक्षित नहीं करेंगे। डिप्टी सीएम ने उनके कार्यकाल के दौरान हुए भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया। फिर सवाल पूछा, भ्रष्टाचार पर आपका मुंह नहीं खुलता, आपके पथ निर्माण विभाग, नगर विकास समेत स्वास्थ्य विभाग जो आपके अंदर थे तो उप मुख्यमंत्री के तौर पर कितनों पर आपने कार्रवाई की, कितनों को सजा दी और जांच कराई, क्या आप बता सकते हैं? सिन्हा ने तेजस्वी यादव को नसीहत दी। बोले- करनी कथनी एक करिए। ट्वीट कर लोगों को बरगलाने का धर्म नेता प्रतिपक्ष का नहीं। जनता के बीच जाइए, जिम्मेदारी निभाइए।
इससे पहले तेजस्वी यादव ने बिहार में एक और पुल के गिरने पर एक्स पोस्ट किया। इसमें उन्होंने 18 जून से अब तक गिरे पुलों की संख्या बताते हुए केंद्र और राज्य की नीतीश सरकार से सवाल पूछे थे। तेजस्वी ने एक्स में लिखा- 𝟒 जुलाई यानि आज सुबह बिहार में एक पुल और गिरा। कल 𝟑 जुलाई को ही अकेले 𝟓 पुल गिरे। 𝟏𝟖 जून से लेकर अभी तक 𝟏𝟐 पुल ध्वस्त हो चुके हैं। आगे लिखा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन उपलब्धियों पर एकदम खामोश एवं निरुत्तर है।
सोच रहे है कि इस मंगलकारी भ्रष्टाचार को जंगलराज में कैसे परिवर्तित करें? तेजस्वी ने कटाक्ष करते हुए सुशासन को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा- सदैव भ्रष्टाचार, नैतिकता, सुशासन, जंगलराज, गुड गवर्नेंस इत्यादि पर राग अलापा। दूसरों में गुण दोष के खोजकर्ता, कथित उच्च समझ के उच्च कार्यकर्ता, उन्नत कोटि के उत्कृष्ट पत्रकार सह पक्षकार तथा उत्तम विचार के श्रेष्ठ लोग अंतरात्मा का गला घोंट इन सुशासनी कुकृत्यों पर चुप्पी की चादर ओढ़ सदाचारी बन चुके हैं।
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