SC-ST कोटा पर ‘सुप्रीम’ फैसला, चिराग को नहीं आया रास, क्या है इसकी वजह?

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पटनाः बिहार में दलितों की राजनीति करने वाले चिराग पासवान ने सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण को लेकर ऐतिहासिक फैसले का विरोध करते हुए पुनर्विचार करने की मांग की है. चिराग से पहले उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान ने भी शुरू से दलितों की राजनीति की. चिराग की पार्टी का इस फैसले पर राजी ना होने के कई कारण हैं. दरअसल, बिहार में साल 2023 में किए गए जातिगत सर्वे पता चला कि बिहार में 19.65 फीसदी एससी हैं. बिहार में एससी वर्ग के लोगों की संख्या 2 करोड़ 56 लाख 89 हजार 820 हैं. वहीं एसटी 1.6 प्रतिशत है. एसटी वर्ग के लोगों की संख्या 21 लाख 99 हजार 361 है.

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि आरक्षण के लिए एससी और एसटी वर्गों के अंदर सब कैटेगरी बनाई जा सकती है. यानी कि अब एससी-एसटी आरक्षण के अंदर सब कोटा बनाकर विशिष्ट जातियों को अलग से आरक्षण दिया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी के आधार पर एससी-एसटी जाति के क्रीमी लेयर को आरक्षण से बाहर रखने का फैसला भी सुनाया, जिसका अर्थ यह है कि एससी-एसटी में जो अमीर लोग हैं, उन्हें आरक्षण के दायरे से वंचित करना चाहिए और क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए राज्यों के नीति बनाने के भी निर्देश सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिया गया है.

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास ने सुप्रीम कोर्ट से एससी-एसटी आरक्षण में सब कैटेगरी और क्रीमी लेयर बनाने के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है. पार्टी ने बयान जारी करते हुए कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पक्ष में नहीं है. क्योंकि जब तक समाज में एससी-एसटी के खिलाफ छुआछूत जैसी प्रथा रहेगी तब तक एससी-एसटी श्रेणियों को सब-कैटगरी में आरक्षण और क्रीमी लेयर जैसे प्रावधान नहीं होने चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राजनीतिक बवाल मचा हुआ है. बिहार में एनडीए के सहयोग दल जनता दल यूनाइटेड ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है. वहीं चिराग पासवान की पार्टी ने इस फैसले का समर्थन नहीं किया है. जदयू नेता और बिहार सरकार में मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि बिहार ने पहले ही महादलित और अति पिछड़ा जैसी सब-कैटगरी बनाई हुई है.

Tags: Chirag Paswan, Supreme Court

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