आईटी की नौकरी छोड़ बनाया किसानों का संगठन, 7 महीने में 2 करोड़ का टर्नओवर

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गया. एक छोटे से प्रयास ने गया के एक गांव की तस्वीर बदल दी. रोजगार के अभाव में इस गांव से लगातार पलायन हो रहा था. इस बीच गांव का एक पढ़ा लिखा युवक अपनी आराम की नौकरी छोड़कर लौटा और उसने गांव वालों को इकट्ठा कर किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाया. रिकॉर्ड समय में गांव में पलायन रुक गया और इनका संगठन 2 करोड़ का हो गया.

ये किसान उत्पादक संगठन मुश्किल से 7-8 महीने पहले बना है. इतने कम समय में ही इसका टर्नओवर 2 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है. यह समूह पशुपालन से जुड़े किसानों का है. इसका नाम नेचुरल एग्रो सपोर्टेड प्रोडक्ट फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड है. उद्देश्य है नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देना. जिले के विशनपुर गांव में ये एफपीओ बनाया गया था ताकि क्षेत्र में हो रहा पलायन रोका जा सके.

पलायन रोकने का प्रयास
कुछ समय पहले तक इस इलाके के लोग काम की तलाश में दूसरे प्रदेश पलायन कर जाते थे. हालात से चिंतित विशुनपुर गांव के नीति रंजन प्रताप ने इसे रोकने के लिए कुछ करने की ठानी. नीतिरंजन आईटी सेक्टर की नौकरी छोड़कर गांव लौटे थे. उन्होंने लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए डेयरी फार्मिंग शुरू की. फिर कुछ दिन बाद एक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाया. ये किसान उसी का हिस्सा हैं.

रोज 600 लीटर दूध उत्पादन
आज इस किसान उत्पादक संगठन से 300 से अधिक लोग जुड़ चुके हैं. इस इलाके में 600 से अधिक गाय का पालन किया जा रहा है. इनसे रोज 500 से 600 लीटर दूध हो रहा है. इसका फायदा ये हुआ कि इस इलाके से पलायन रुक गया. पथरीली जमीन होने के कारण इस इलाके में खेती भी नहीं होती थी. लेकिन अब धीरे-धीरे यहां के लोगों ने प्राकृतिक खेती शुरू कर दी है. डेयरी से निकलने वाले वेस्ट प्रोडक्ट को खेतों में इस्तेमाल किया जाने लगा है. एफपीओ से जुड़ा हर किसान शेयर होल्डर है. एफपीओ से होने वाली आमदनी वो आपस में बांट लेते हैं.

बॉयलर से पनीर-खोवा उत्पादन
अब इस गांव में रोजाना 500 से अधिक लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है और दूध से पनीर और खोवा भी बनाया जाता है. इसकी डिमांड गया के अलावा नवादा जिले में भी है. एफपीओ का खर्च कम करने के लिए गैस सिलेंडर की जगह बॉयलर का इस्तेमाल कर रहे हैं और डेयरी से निकलने वाले गोबर से गैस बना रहे हैं. पहले 20 लीटर दूध का खोवा तैयार करने में 1 घंटे से अधिक समय लगता था.अब बॉयलर लगने के बाद मात्र 20 मिनट में खोवा तैयार हो जाता है. बॉयलर लगने से महीने में गैस सिलेंडर पर लगने वाले 30 हजार रुपये खर्च की बचत हो रही है.

313 किसान बने आत्मनिर्भर
नीति रंजन प्रताप बताते हैं नवंबर 2023 में नेचुरल एग्रो सपोर्टेड फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड बनायी ताकि आसपास के छोटे किसानों को रोजगार से जोड़ा जाए. एफपीओ बनने के बाद कई किसान अब पशुपालन से जुड़ चुके हैं. उनकी आमदनी भी बढ़ने लगी है. फिलहाल इस एफपीओ से 313 किसान जुड़े हुए हैं.

Tags: Gaya news today, India agriculture, Local18, Motivational Story

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