बलात्कार पीढ़िता आदिवासी विधवा  को न्याय की तलाश में झेलना पड़े पुलिसिया अत्याचार

[ad_1]

पीढिता व उसकी नाबालिक बेटी की मगरोनी थाने में मारपीट

शिवपुरी। जिले के मगरोनी पुलिस चौकी क्षेत्र में एक आदिवासी महिला को न्याय पाने के लिए जिस पुलिस बल का सहारा लेना चाहिए था, वही पुलिस उसके लिए अत्याचार का प्रतीक बन गई। यह घटना उस समय हुई जब विधवा आदिवासी महिला, जो सहरिया जाति से संबंध रखती है और ग्राम कैरुआ बंधा थाना नरवर की निवासी है, 26 अगस्त 2024 को दिनदहाड़े हुए बलात्कार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने मगरोनी पुलिस चौकी पहुंची।

पीड़िता ने आरोप लगाया है कि मगरोनी निवासी प्रदीप जैन, जो गाँव का एक प्रभावशाली व्यक्ति है, ने उसके साथ गोदाम में बलात्कार किया। इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी के रूप में उसकी 15 वर्षीय पुत्री मौजूद थी, जिसने साहसिकता दिखाते हुए कुछ महत्वपूर्ण साक्ष्य जुटा लिए थे। लेकिन जब पीड़िता और उसकी पुत्री ने इस घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने की कोशिश की, तो उन्हें पुलिस चौकी पर और भी बड़ी यातनाओं का सामना करना पड़ा।

महिला दरोगा ने न केवल उनके आरोपों को झूठा ठहराया, बल्कि उन्हें अपमानित करते हुए भद्दी गालियों से भी नवाज़ा। इसके बाद महिला दरोगा ने पीड़िता और उसकी पुत्री के साथ बर्बरता से मारपीट की, उन्हें धमकाया कि अगर वे इस घटना की शिकायत कहीं और करेंगी, तो उन्हें जेल में सड़ने के लिए छोड़ दिया जाएगा। यह सब कुछ तब हुआ जब आरोपी प्रदीप जैन का नाम सामने आया, जो इलाके का रसूखदार व्यक्ति है और जिसकी राजनीति में भी अच्छी पकड़ है।

पीड़िता ने आरोप लगाया कि पुलिस चौकी पर उन्हें पूरे दिन बिठाकर रखा गया और रात में 11 बजे उन्हें  डरा धमकाकर पुलिस वाहन से उनके घर छोड़ दिया गया। उस समय दरोगा ने उन्हें यह चेतावनी भी दी कि अगर उन्होंने फिर से कोई कार्रवाई की या व्यापारी का नाम लिया तो उन्हें और उनके परिवार को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

अपने घर लौटने के बाद भी, पीड़िता को कोई न्याय नहीं मिला। उसने अगले दिन पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर प्रदीप जैन के खिलाफ मामला दर्ज कराने और महिला दरोगा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। 

न्याय की तलाश में भटकती हुई वह आखिरकार सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन के निवास पर पहुंची और अपनी आपबीती सुनाई। संजय बेचैन ने पुलिस अधीक्षक से तुरंत संपर्क किया और इस गंभीर घटना की जानकारी दी। पुलिस अधीक्षक ने तत्परता से मामले की जांच का आश्वासन दिया और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए उचित कदम उठाने का वादा किया।

इस घटना ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि आदिवासी समाज के कमजोर वर्गों को न्याय पाने के लिए किस हद तक संघर्ष करना पड़ता है। जहाँ न्याय की तलाश में जाना चाहिए, वहाँ पुलिसिया अत्याचार से पीड़ित होना पड़ता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और पीड़िता को न्याय दिलाने में कितना सफल होता है। न्याय के लिए संघर्ष करती इस महिला की कहानी हमारी व्यवस्था की गहरी खामियों को उजागर करती है, जहाँ कानून और व्यवस्था केवल रसूखदारों के पक्ष में खड़ी नजर आती है।

संजय बेचैन का कहना है कि जब तक ऐसी घटनाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक न्याय की यह लड़ाई केवल एक दिखावा बनी रहेगी। समाज और प्रशासन को यह समझना होगा कि हर नागरिक, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, या वर्ग का हो, न्याय पाने का हकदार है।


Post Views: 5


Discover more from SD News agency

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

[ad_2]

Source link


Discover more from सच्चा दोस्त न्यूज़

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Back To Top

Discover more from सच्चा दोस्त न्यूज़

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading