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5 अगस्त 2001 को हरियाणा के निदानी गांव में जन्मी अंशु मलिक के खून में ही कुश्ती बस्ती है। उनके पिता धर्मवीर ने 1990 के दशक में भारतीय जूनियर कुश्ती टीम का प्रतिनिधित्व किया था और उनका पूरा गांव इस खेल का शौकीन रहा है। अंशु मलिक का पहली बार कुश्ती से परिचय 11 साल की उम्र में हुआ। उन्होंने अपने भाई शुभम को ट्रेनिंग करते देखा, जिसके बाद उन्होंने अपने भाई से कहा कि वह भी इसमें हाथ आजमाना चाहती है। उनके पिता ने भी उन्हें पूरा सपोर्ट किया। अंशु ने जल्द ही कोच जगदीश श्योराण द्वारा चल रहे चौधरी भारत सिंह मेमोरियल स्कूल में ट्रेनिंग शुरू कर दी। तभी से वह उनकी देख-रेख में ट्रेनिंग करने लगी। जल्द ही अंशु मलिक ने अपनी प्रतिभा के बलबूते नाम कमाना शुरू कर दिया।
उन्होंने अपना पहला पदक 2016 एशियाई कैडेट चैंपियनशिप में जीता, वहां उन्होंने रजत पदक अपने नाम किया। वहीं इसके बाद उन्होंने साल 2016 विश्व कैडेट चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। साल 2017 में अंशु मलिक को 60 किग्रा में विश्व कैडेट चैंपियन का खिताब मिला। इसके बाद उन्होंने 2018 एशियाई कैडेट का खिताब भी जीता। वहीं 2018 विश्व कैडेट और जूनियर चैंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक अपने नाम किया। इसके अगले साल, अंशु मलिक ने 2019 एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। साल 2020 में उन्होंने सीनियर लेवल पर भी कमाल करना शुरू कर दिया। साल 2020 का सीजन उनके लिए बेहद शानदार रहा।
भारतीय पहलवान ने इटली में माटेओ पेलिकोन रैंकिंग सीरीज में रजत, एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य और व्यक्तिगत विश्व कप में रजत अपने नाम किया। साल 2021 में, अंशु मलिक ने क्वालीफायर में दूसरे स्थान पर रहने के बाद टोक्यो में पहली बार ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया। जल्द ही 57 किग्रा डिवीजन में 2021 एशियन चैंपियन बनकर उन्होंने एक बार फिर सफलता का स्वाद चखा। टोक्यो 2020 में कोहनी के चोटिल होन के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए अंशु मलिक राउंड ऑफ 16 में बेलारूस की रजत पदक विजेता इरीना कुराचकिना से हार गईं। इसके बाद उन्हें रेपचेज राउंड में भी मौका मिला लेकिन वहां भी उन्हें रूसी ओलंपिक समिति (आरओसी) की एक अन्य ओलंपिक रजत पदक विजेता वेलेरिया कोब्लोवा से हार झेलनी पड़ी, जिसके बाद उन्हें समर गेम्स से बाहर होना पड़ा।
हालांकि, अंशु मलिक ने जल्द ही 2021 विश्व चैंपियनशिप में ऐतिहासिक रजत पदक जीतकर टोक्यो ओलंपिक की अपनी निराशा को पीछे छोड़ दिया। बर्मिंघम 2022 में राष्ट्रमंडल खेलों में डेब्यू करते हुए, अंशु मलिक ने 57 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीतकर अपना 21वां जन्मदिन मनाया। शीर्ष वरीयता प्राप्त भारतीय पहलवान ने सेमीफाइनल तक अपने विरोधियों को पछाड़ा, लेकिन फाइनल मुकाबले में वह नाइजीरिया के ओडुनायो अदेकुओरोये से हार गईं, जिन्होंने अपने CWG खिताब की हैट्रिक पूरी की। तेजी से सफलता की राह पर आगे बढ़ने और कम समय में बहुत कुछ हासिल करने के बाद, अंशु मलिक से 2024 पेरिस ओलंपिक में पदक जीतने की उम्मीद काफी बढ़ गई है।
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