Chaturmas 2024: चातुर्मास में इन चीजों का करें त्याग, कई तरह के सुखों की होगी प्राप्ति

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चातुर्मास के दौरान मांगलिक कार्य नहीं किए जाते है। देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान की अवधि चातुर्मास कहलाती है। फिर देवउठनी एकादशी के बाद ही मांगलिक कार्यों का आरंभ होता है। चातुर्मास के दौरान कई तरह की चीजें वर्जित मानी जाती हैं।

By Ekta Sharma

Publish Date: Thu, 04 Jul 2024 11:20:48 AM (IST)

Updated Date: Thu, 04 Jul 2024 11:20:48 AM (IST)

Chaturmas 2024: चातुर्मास में इन चीजों का करें त्याग, कई तरह के सुखों की होगी प्राप्ति
चातुर्मास के नियम, भगवान विष्णु (प्रतीकात्मक तस्वीर)

HighLights

  1. इस बार चातुर्मास की शुरुआत 17 जुलाई से हो रही है।
  2. इस दौरान कुछ नियमों का पालन जरूर करना चाहिए।
  3. चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु और महादेव की पूजा करें।
धर्म डेस्क, इंदौर। Chaturmas 2024: चातुर्मास को चौमासा भी कहा जाता है। चातुर्मास में भगवान श्री हरि विष्णु योग निद्रा में होते हैं और सृष्टि का नियंत्रण भगवान शिव के हाथों में होता है। चातुर्मास में शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है। इस बार चातुर्मास की शुरुआत 17 जुलाई से हो रही है। इस दौरान कुछ नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और जातक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए, जानते हैं कि चातुर्मास के नियम कौन-से हैं।

चातुर्मास में छोड़ें ये चीजें

पान, दही, तेल, बैंगन, सब्जियां, चीनी, मसालेदार भोजन, मांस, शराब, नमकीन भोजन आदि का सेवन चातुर्मास के दौरान न करें। चातुर्मास में पान छोड़ने से भोग, दही छोड़ने से गोलोक, गुड़ छोड़ने से मिठास और नमक छोड़ने से पुत्र सुख की प्राप्ति होती है। चातुर्मास के सावन में पत्तेदार सब्जियां, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध और कार्तिक में लहसुन-प्याज का सेवन वर्जित माना जाता है। इस दौरान काले या नीले रंग के कपड़े भी नहीं पहनने चाहिए।

चातुर्मास 2024 नियम

  • चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। इन चार महीनों के दौरान हर दिन सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और स्नान करना चाहिए। भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इसी महीने सावन माह भी शुरू होता है।
  • चातुर्मास के दौरान ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए। बुरे विचारों और बुरी बातों से दूरी बनाकर रखें। पूजा-पाठ में अपना मन लगाना चाहिए।
  • चातुर्मास के दौरान दिन में केवल एक बार ही भोजन करना चाहिए। फर्श पर सोना चाहिए। व्रत, जप, तप, साधना, योग आदि का अभ्यास करना चाहिए।
  • चातुर्मास के व्रत नियमपूर्वक करने चाहिए। इस दौरान अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें, दूसरों के बारे में बुरा बोलने से बचें।
  • चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन संध्या आरती करनी चाहिए। नया जनेऊ धारण करें। चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु और महादेव के साथ-साथ माता लक्ष्मी, माता पार्वती, गणेश जी, राधा कृष्ण, पितृ देव आदि की पूजा करनी चाहिए।
  • चातुर्मास के दौरान देवता शयन करते हैं, इसलिए विवाह, सगाई, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं किए जाने चाहिए।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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