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चातुर्मास के दौरान मांगलिक कार्य नहीं किए जाते है। देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान की अवधि चातुर्मास कहलाती है। फिर देवउठनी एकादशी के बाद ही मांगलिक कार्यों का आरंभ होता है। चातुर्मास के दौरान कई तरह की चीजें वर्जित मानी जाती हैं।
Publish Date: Thu, 04 Jul 2024 11:20:48 AM (IST)
Updated Date: Thu, 04 Jul 2024 11:20:48 AM (IST)
HighLights
- इस बार चातुर्मास की शुरुआत 17 जुलाई से हो रही है।
- इस दौरान कुछ नियमों का पालन जरूर करना चाहिए।
- चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु और महादेव की पूजा करें।
चातुर्मास में छोड़ें ये चीजें
पान, दही, तेल, बैंगन, सब्जियां, चीनी, मसालेदार भोजन, मांस, शराब, नमकीन भोजन आदि का सेवन चातुर्मास के दौरान न करें। चातुर्मास में पान छोड़ने से भोग, दही छोड़ने से गोलोक, गुड़ छोड़ने से मिठास और नमक छोड़ने से पुत्र सुख की प्राप्ति होती है। चातुर्मास के सावन में पत्तेदार सब्जियां, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध और कार्तिक में लहसुन-प्याज का सेवन वर्जित माना जाता है। इस दौरान काले या नीले रंग के कपड़े भी नहीं पहनने चाहिए।
चातुर्मास 2024 नियम
- चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। इन चार महीनों के दौरान हर दिन सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और स्नान करना चाहिए। भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इसी महीने सावन माह भी शुरू होता है।
- चातुर्मास के दौरान ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए। बुरे विचारों और बुरी बातों से दूरी बनाकर रखें। पूजा-पाठ में अपना मन लगाना चाहिए।
- चातुर्मास के दौरान दिन में केवल एक बार ही भोजन करना चाहिए। फर्श पर सोना चाहिए। व्रत, जप, तप, साधना, योग आदि का अभ्यास करना चाहिए।
- चातुर्मास के व्रत नियमपूर्वक करने चाहिए। इस दौरान अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें, दूसरों के बारे में बुरा बोलने से बचें।
- चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन संध्या आरती करनी चाहिए। नया जनेऊ धारण करें। चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु और महादेव के साथ-साथ माता लक्ष्मी, माता पार्वती, गणेश जी, राधा कृष्ण, पितृ देव आदि की पूजा करनी चाहिए।
- चातुर्मास के दौरान देवता शयन करते हैं, इसलिए विवाह, सगाई, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं किए जाने चाहिए।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’
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