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सावन के महीने में भगवान शिव के गले का श्रृंगार कहे जाने वाले नाग देवता की भी पूजा की जाती है। इस खास दिन को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि सावन की पंचमी तिथि को आस्तिक ने नागों को यज्ञ में जलने से बचाया था। तभी से नागपंचमी का पर्व मनाया जाने लगा।
Publish Date: Sun, 04 Aug 2024 12:40:56 PM (IST)
Updated Date: Sun, 04 Aug 2024 12:53:37 PM (IST)
HighLights
- इस बार नागपंचमी 9 अगस्त, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
- एक कथा में नाग देवता ने भाई की भूमिका भी निभाई है।
- उन्होंने बहन के लिए ऐसा हार बनाया, जो सर्प बन जाता था।
कहा जाता है कि ऐसा करने से सर्पदंश की रक्षा होती है। साथ ही आपके घर से सांप के काटने का भय भी दूर हो जाता है। इस बार नागपंचमी 9 अगस्त, शुक्रवार को मनाई जाएगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नाग पंचमी पर्व मनाने की प्रथा कब से शुरू हुई। पढ़िए इससे जुड़ी पौराणिक कथा।
नाग पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा
प्राचीन समय में एक राज्य में सेठ रहता था, जिसके सात बच्चे थे। सेठ के सभी सात बेटों की शादी हो चुकी थी। सेठ की सबसे छोटी बहू बुद्धिमान और अच्छे स्वभाव वाली थी। एक दिन बड़ी बहू घर की सभी बहुओं को मिट्टी लाने के लिए अपने साथ ले गई। जमीन खोदते समय बड़ी बहू की नजर एक सांप पर पड़ी और वह उसे खुरपी से मारने लगी।
तब सबसे छोटी बहू ने उसे रोका और कहा कि इस सर्प ने कोई पाप नहीं किया है। सबसे छोटी बहू ने सांप के पास जाकर कहा, ‘तुम यहीं रुको, हम थोड़ी देर में लौटेंगे।’ इतना कहकर सभी बहुएं घर लौट गईं।
छोटी बहू भूल गई अपना वादा
काम में व्यस्त छोटी बहू सांप से किया वादा भूल गई और सांप उसका इंतजार करता रहा। अगले दिन जब सबसे छोटी बहू को सांप से किया हुआ वादा याद आया, तो वह दौड़कर सांप के पास गई। उसने सांप के पास जाकर क्षमा मांगी और बोली, ‘भाई, मैं काम में व्यस्त होने के कारण अपना वादा भूल गयी।’ साँप ने कहा, ‘तुमने मुझे अपना भाई समझा, इसलिए मैंने तुम्हें जाने दिया, नहीं तो कोई और होता तो मैं उसे डस लेता।”
इसके साथ ही नाग ने कहा, ‘तुमने मुझे भाई कहा है, इसलिए आज से मैं तुम्हारा भाई हूं, तुम्हें जो भी मांगना हो मांग लो।’ तब सबसे छोटी बहू बोली- मेरा कोई भाई नहीं है, आज से तुम ही मेरे भाई हो। कुछ दिन बाद नाग मनुष्य का रूप धारण करके अपनी बहन को लेने आया। उस पर विश्वास करके परिवार वालों ने छोटी बहू को जाने दिया।
गलती से पिला दिया था गर्म दूध
सांप सबसे छोटी बहू को अपने घर ले गया, जहां सांप का परिवार रहता था। सांप के घर में इतना सारा धन देखकर बहू को आश्चर्य हुआ। एक दिन सांप की मां ने छोटी बहू से कहा, ‘अपने भाई को थोड़ा ठंडा दूध पिलाओ।’ लेकिन छोटी बहू इस बात को भूल गई और उसने सांप को गर्म दूध पिला दिया, जिससे सांप का मुंह जल गया।
सांप की मां बहुत क्रोधित हुई, लेकिन सांप ने उसे शांत कर दिया। थोड़ी देर बाद सांप ने कहा कि उसकी बहन के घर जाने का समय हो गया है। जैसे ही उन्होंने घर को अलविदा कहा, नाग के परिवार ने छोटी बहू को सोने, चांदी, हीरे, मोती, कपड़े और गहनों से लाद दिया।
उपहार में मिला हीरों का हार
जब छोटी बहू घर लौटी, तो बड़ी बहू को उसके धन से ईर्ष्या होने लगी। नाग ने सबसे छोटी बहू को गहनों के साथ हीरों का हार और एक माला भी दी। यह हार पूरे राज्य में चर्चा का विषय था। जब रानी को इसके बारे में पता चला, तो उसने यह हार मंगवाया। सबसे छोटी बहू को यह अच्छा नहीं लगा और उसने सांप को बुलाकर सारी बात बता दी। सबसे छोटी बहू ने अपने भाई से कहा कि ऐसा कुछ करो कि यह हार सबसे छोटी बहू के गले का हार बन जाए और कोई और पहने तो उसके गले में सांप बन जाए।
पहनते ही हार बन जाता था सांप
बहन की बात मानकर भाई ने वैसा ही किया। जब रानी ने यह हार पहना, तो वह हार उसके गले में सांप बन गया। रानी चिल्लाने लगी। रानी की चीख सुनकर राजा ने सबसे छोटी बहू को लाने का आदेश दिया। जब छोटी बहू राजा और रानी के पास आई, तो उसने कहा कि यह हार उसके गले का हार और दूसरों के गले का सांप बन जाता है। तब राजा ने अपनी सबसे छोटी बहू से हार पहनने को कहा। जैसे ही उसने उसे पहना, सांप एक हार में बदल गया। यह चमत्कार देखकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ और उसे अपना धन देकर विदा कर दिया।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’
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