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इंदौर के श्रद्धालु इस बार अनूठी कांवड़ा यात्रा निकालने वाले हैं। ओलपिंक खेलों की तरह ही यह यात्रा रिले कांवड़ यात्रा होगा। गुजरात से लेकर इंदौर तक चलने वाली यह यात्रआ 900 किलोमीटर की होगी। कांवड़िए प्रति घंटा करीब 16 किमी दौड़ेंगे। सभी कांवड़िए 4 अगस्त को गुजरात के लिए आश्रम परिसर से रवाना होंगे।
Publish Date: Sun, 04 Aug 2024 01:09:08 PM (IST)
Updated Date: Sun, 04 Aug 2024 01:09:08 PM (IST)
HighLights
- यात्रा में अलग-अलग अंतराल में 200 भक्त 54 घंटे दौड़ेंगे।
- कांवड़ यात्रा की शुरुआत 7 अगस्त को शुभ मुहूर्त में होगी।
- यात्रा का समापन इंदौर स्थित अरण्य धाम आश्रम में होगा।
अर्थात कांवड़िए प्रति घंटा करीब 16 किलोमीटर दूरी दौड़ते हुए पूरी करेंगे और अपने कांधे की कांवड़ अगले श्रद्धालु को सौंपते जाएंगे। यह अपनी तरह की अनूठी व देश की ऐसी पहली कांवड़ यात्रा होगी, जो रिले रेस स्पर्धा की तरह होगी और सुपर फास्ट गति से पूरी होगी। इसका आरंभ गुजरात में गोमती नदी व समुद्र के संगम द्वारकाधीश मंदिर से होगा और समापन इंदौर स्थित अरण्य धाम आश्रम, स्कीम नंबर 78 में होगा।
अलग-अलग पवित्र नदियों के जल से अभिषेक
सीताराम सुपर फास्ट डाक (रिले) कांवड़ यात्रा भक्त मंडल के तत्वावधान में निकलने वाली इस यात्रा का स्वप्न इंदौर स्थित अरण्य धाम आश्रम के अधिष्ठाता ब्रह्मलीन फलाहारी बाबा ने देखा था। उनकी इच्छा थी कि आश्रम में प्रतिष्ठित रामेश्वर महादेव का जलाभिषेक देश के अलग-अलग धार्मिक स्थलों की पावन नदियों के जल से किया जाए।
यह जल कांवड़ में भरकर श्रद्धालुओं द्वारा लाया जाए। उनके इस स्वप्न को अब आश्रम परिवार के प्रमुख महंत रामजी महाराज पूरा कर रहे हैं, इसलिए योजना बनाई गई। वह कहते हैं कि भारतीय सनातन संस्कृति में गुरु की आज्ञा और इच्छा पूरी करना शिष्य का कर्तव्य होता है।
गुरु की इच्छा पूरी करने के लिए ही दौड़ती हुई नाॅन स्टाॅप सीताराम कांवड़ यात्रा की योजना बनाई गई। इससे पहले निकाली गई यात्रा में ओंकारेश्वर, उज्जैन, महेश्वर से जल लेकर कांवड़िए दौड़ते हुए इंदौर पहुंचे थे। इस बार इसे दो राज्यों तक विस्तार दिया गया है।
भक्त इन रास्तों से कांवड़ लेकर दौड़ेंगे
- गुजरात में गोमती नदी व समुद्र तट संगम स्थल द्वारकाधीश मंदिर से एक कांवड़ में जल लेकर कांवड़ यात्रा की शुरुआत 7 अगस्त को शुभ मुहूर्त में होगी।
- इसमें 24 घंटे दिन-रात इस कांवड़ को लेकर अलग-अलग अंतराल में 200 भक्त 54 घंटे दौड़ेंगे।
- यात्रा गुजरात में जामनगर, राजकोट, गोधरा, नडियाद, दाहोद होते हुए मध्य प्रदेश में झाबुआ के रास्ते प्रवेश करेगी।
- यहां से धार, बेटमा, इंदौर एयरपोर्ट रोड होते हुए स्कीम 78 स्थित अरण्य धाम आश्रम पहुंचकर महादेव का जलाभिषेक करेगी।
- इसमें भाग लेने वाले 200 कांवड़िए चयनित कर लिए गए हैं। यह सब 4 अगस्त को गुजरात के लिए आश्रम परिसर से रवाना होंगे।
3 तरह की होती हैं कांवड़ यात्राएं
आश्रम के महंत राम जी बाबा बताते हैं कि कांवड़ के मुख्यत: तीन स्वरूप होते हैं।
पहली जल कांवड़: इसमें जल लेकर कांवड़िए सूर्योदय से सूर्यास्त तक पैदल चलते हैं और रात्रि में विश्राम करते हैं।
दूसरी अखंड कांवड़: इसमें श्रद्धालु सुबह, दोपहर, शाम व रात में भी निरंतर गंतव्य की ओर चलते रहते हैं।
तीसरी डाक कांवड़: इसमें कांवड़ एक ही होती है, जिसे बारी-बारी से कांवड़िए लेकर दौड़ते हैं। डाक कांवड़ का चलन झारखंड की ओर ज्यादा देखने को मिलता है।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’
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