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Sawan Shivratri 2024: आज 02 अगस्त दिन शुक्रवार है. पंचांग के अनुसार श्रावण कृष्ण पक्ष त्रयोदशी उपरांत चतुर्दशी तिथि है. यह तिथि भगवान शिव और माता पार्वती जी को समर्पित है. आज सावन मास की शिवरात्रि है. आज शिव भक्त शुभ समय में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना कर रहे है. क्योंकि आज का दिन शिव जी की पूजा करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि सावन शिवरात्रि पर महादेव की पूजा के साथ-साथ शिवलिंग का जलाभिषेक करने पर मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती हैं, इसके साथ ही सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
सावन शिवरात्रि पर कौन सा योग बना है?
आज सावन शिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग बना है. इस योग का समय सुबह 10 बजकर 59 मिनट से लेकर 3 अगस्त सुबह 6 बजकर 2 मिनट तक रहेगा. ऐसे में भगवान शिव की अर्चना करने से तरक्की के योग बन रहा है, आज व्रत रखने का भी विधान है. आज सभी कांवड़िए गंगा तट से लाए हुए जल को शिवलिंग पर अर्पित करेंगे. इस दौरान पूजा करने से यात्रा का संपूर्ण फल प्राप्त होता है. आइए जानते है महादेव की पूजा करने के लिए शुभ समय, नियम, पूजा विधि और आरती के बारे में-
सावन शिवरात्रि शुभ मुहूर्त
विजय मुहूर्त – आज दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से 3 बजकर 37 मिनट तक रहेगा.
गोधूलि मुहूर्त – आज शाम 07 बजकर 08 मिनट से 08 बजकर 13 मिनट तक रहेगा.
निशिता मुहूर्त – आज रात 12 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा.
सर्वार्थ सिद्धि योग – आज 2 अगस्त 2024 सुबह 10 बजकर 59 मिनट से 3 अगस्त 2024 को सुबह 6 बजकर 2 मिनट तक रहेगा.
गोधूलि मुहूर्त – आज शाम 07 बजकर 08 मिनट से 08 बजकर 13 मिनट तक रहेगा.
निशिता मुहूर्त – आज रात 12 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा.
सर्वार्थ सिद्धि योग – आज 2 अगस्त 2024 सुबह 10 बजकर 59 मिनट से 3 अगस्त 2024 को सुबह 6 बजकर 2 मिनट तक रहेगा.
सावन शिवरात्रि पूजा सामग्री
भगवान शिव की पूजा करने के लिए पूजन सामग्री में बेलपत्र, धतूरा, भांग, बेर, गुलाल और सफेद चंदन को शामिल करें. इसके साथ ही दूध दही, कपूर, धूप, दीप, रूई, शहद, घी,पंच फल, गन्ने का रस, गंगाजल, और श्रृंगार की सामग्री को भी रखें. इन सामग्रियों से पूजा करने पर महादेव प्रसन्न होते हैं.
महादेव का जलाभिषेक करने की विधि
आज सावन शिवरात्रि पर महादेव का जलाभिषेक करते हैं. शिवलिंग का दूध, दही, शहद, घी, शक्कर, गन्ने के रस से अभिषेक करें. इसके बाद एक लोटे में गंगाजल लें. जल में काला तिल मिलाकर रख लें. फिर शिव जी के मंत्र का जाप करें. अब इस जल को शिवलिंग पर अर्पित कर दें, इसके बाद फल फूल, फल और मिठाई आदि चीजों को अर्पित करते जाएं. इसके बाद आटे का चौमुखी दीपक जलाकर महादेव की आरती करें.
शिवलिंग पर रुद्राभिषेक विधि
शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करें, इसके बाद रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करें. फिर शिवलिंग पर चावल चढ़ाएं. इस दौरान फूल, बेलपत्र, धतूरा, और भांग भी अर्पित और आरती करते हुए शंखनाद करें.
ऐसे करें भगवान शिव का अभिषेक
– सोमवार को सबसे पहले स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें.
– इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें.
– शिवलिंग को उत्तर दिशा में स्थापित करें और गंगाजल से अभिषेक करें.
– अब शक्कर, दही, दूध और घी समेत आदि चीजों से अभिषेक करें.
– इस दौरान प्रभु के मंत्रों का जाप करें.
– फिर भगवान शिव और माता पार्वती जी की आरती करें.
– इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें.
– शिवलिंग को उत्तर दिशा में स्थापित करें और गंगाजल से अभिषेक करें.
– अब शक्कर, दही, दूध और घी समेत आदि चीजों से अभिषेक करें.
– इस दौरान प्रभु के मंत्रों का जाप करें.
– फिर भगवान शिव और माता पार्वती जी की आरती करें.
भगवान शिव के प्रभावशाली मंत्र
ओम साधो जातये नम:।। ओम वाम देवाय नम:।।
ओम अघोराय नम:।। ओम तत्पुरूषाय नम:।।
ओम ईशानाय नम:।। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।।
ओम अघोराय नम:।। ओम तत्पुरूषाय नम:।।
ओम ईशानाय नम:।। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।।
शिव जी की आरती
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसानन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला।
शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे।।
ओम जय शिव ओंकारा।। ओम जय शिव ओंकारा।।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसानन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला।
शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे।।
ओम जय शिव ओंकारा।। ओम जय शिव ओंकारा।।
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