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थॉमस एल. फ्रीडमैन, तीन बार पुलित्ज़र अवॉर्ड विजेता एवं ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में स्तंभकार
मैं लिस्बन के एक होटल के कमरे में अकेला था और बाइडेन-ट्रम्प की प्रेसिडेंशियल बहस देख रहा था। उसे देखकर मुझे रोना आ गया। मुझे अपने जीवनकाल में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अभियानों के दौरान इससे अधिक हृदय-विदारक क्षण याद नहीं आता। इससे यह साफ हो गया कि जो बाइडेन चाहे एक अच्छे इंसान और एक अच्छे राष्ट्रपति हों, लेकिन उन्हें फिर से चुनाव लड़ने का कोई अधिकार नहीं है।
वहीं डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने पिछले कार्यकाल से कुछ नहीं सीखा है और वे कुछ भी नहीं भूले हैं। वे आज भी पहले जैसे ही हैं और 21वीं सदी के अमेरिका का नेतृत्व करने के लिए जैसे नेता की आवश्यकता है, वे उसके आसपास भी नहीं हैं।
ऐसे में बाइडेन परिवार और उनकी राजनीतिक टीम को जल्द से जल्द एकत्र होकर राष्ट्रपति के साथ यह कठिन बातचीत करनी चाहिए और उन्हें प्यार और स्पष्टता से समझाना चाहिए। नवंबर में ट्रम्प के फिर से चुने जाने के खतरे को रोकने के लिए बाइडेन को ही आगे आना होगा और घोषणा करनी होगी कि वे फिर से चुनाव नहीं लड़ेंगे। साथ ही उन्हें डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन के लिए अपने सभी प्रतिनिधियों को रिलीज कर देना होगा।
वहीं अगर रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं में थोड़ी भी ईमानदारी होती, तो वे भी यही मांग करते। लेकिन ऐसा होगा नहीं। ऐसे में यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि डेमोक्रेट्स अमेरिका के हितों को सबसे आगे रखें और घोषणा करें कि नामांकन के लिए विभिन्न डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों के बीच प्रतिस्पर्धा के लिए एक नई सार्वजनिक प्रक्रिया शुरू होगी- टाउनहॉल, बहस, दानदाताओं के साथ बैठकें वगैरा।
हां, जब 19 अगस्त को शिकागो में डेमोक्रेटिक कन्वेंशन शुरू होगा, तो यह थोड़ा अराजकतापूर्ण हो सकता है, लेकिन मुझे लगता है कि ट्रम्प के पुनर्निर्वाचन का खतरा इतना गंभीर है कि प्रतिनिधि सर्वसम्मति से किसी नामांकित व्यक्ति के पक्ष में जल्दी से एकजुट हो सकते हैं।
अगर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस मैदान में उतरना चाहती हैं, तो उन्हें संकोच नहीं करना चाहिए। लेकिन मतदाता डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की तलाश में एक खुली प्रक्रिया के हकदार हैं, जो न केवल पार्टी बल्कि देश को भी एकजुट कर सके। और देशवासियों के समक्ष कुछ ऐसा पेश कर सकें, जो प्रेसिडेंशियल डिबेट में अटलांटा के मंच मौजूद दोनों नेताओं ने नहीं किया था।
अमेरिका को एक ऐसा राष्ट्रपति चाहिए, जो दुनिया की मौजूदा स्थिति के बारे में एक सम्मोहक विवरण प्रस्तुत कर सके और यह बता सके कि अमेरिका को दुनिया का नैतिक, आर्थिक और कूटनीतिक रूप से नेतृत्व करने के लिए क्या करना चाहिए।
क्योंकि यह इतिहास का कोई साधारण मोड़ नहीं है। हम मानव इतिहास की सबसे बड़ी तकनीकी और जलवायु सम्बंधी उथलपुथल के ऐन बीच में हैं। हम एक एआई क्रांति की शुरुआत में हैं, जो हर किसी के लिए सब कुछ बदलने जा रही है।
हम कैसे काम करते हैं, कैसे सीखते-सिखाते हैं, कैसे व्यापार करते हैं, कैसे आविष्कार करते हैं, कैसे सहयोग करते हैं, कैसे युद्ध लड़ते हैं, कैसे अपराध करते हैं और हम अपराधों से कैसे लड़ते हैं, यह सब अब बदलने जा रहा है। लेकिन मुझे याद नहीं आता कि बहस के दौरान दोनों सज्जनों ने एक बार भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शब्दों का प्रयोग किया हो।
अगर कभी ऐसा समय था, जब दुनिया को अमेरिका के सर्वश्रेष्ठ रूप और सर्वश्रेष्ठ नेतृत्व की आवश्यकता थी, तो वो समय अब है – क्योंकि अब हमारे सामने बड़े खतरे और अवसर हैं। युवा बाइडेन वैसे नेता हो सकते थे, लेकिन दुर्भाग्य से वे समय की गति से हार चुके हैं। डिबेट में यह दर्दनाक रूप से स्पष्ट हो गया था।
11 सितंबर, 2001 के बाद जब हम साथ में अफगानिस्तान और पाकिस्तान गए थे, तभी से बाइडेन मेरे मित्र हैं। उस समय वे सीनेट की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष थे। आज अगर वे यह स्वीकार करते हुए अपने राष्ट्रपति पद का समापन करते हैं कि उम्र के कारण वे दूसरे कार्यकाल के लिए उपयुक्त नहीं हैं, तो उनके पहले और एकमात्र कार्यकाल के आधार पर उन्हें हमारे इतिहास के बेहतर राष्ट्रपतियों में से एक के रूप में याद रखा जाएगा।
उन्होंने न केवल हमें ट्रम्प के लगातार दूसरे कार्यकाल से बचाया, बल्कि जलवायु और प्रौद्योगिकी क्रांतियों का सामना करने के लिए महत्वपूर्ण कानून भी बनाए। मैं अभी तक बाइडेन को संदेह का लाभ देने के लिए तैयार था, क्योंकि जब भी मैंने उनसे व्यक्तिगत रूप से बात की, मैंने पाया कि वे इस काम के लिए उपयुक्त हैं। लेकिन प्रेसिडेंशियल डिबेट देखने के बाद अब यह स्पष्ट है कि वे राष्ट्रपति पद के लिए उपयुक्त नहीं रह गए हैं। उन्हें अपनी गरिमा बनाई रखनी चाहिए और इस कार्यकाल के अंत में सक्रिय राजनीति के मंच को हमेशा के लिए विदा कह देना चाहिए।
(द न्यूयॉर्क टाइम्स से)
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