प्रतिष्ठित आचार्य आदिसागर अंकलीकर पुरस्कार 2024 हेतु प्रविष्टियाँ आमंत्रित

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प.पू. तपस्वीसम्राट् आचार्यश्री सन्मतिसागरजी महाराज के आशीर्वाद एवं मुनिकुंजर आचार्यश्री आदिसागर (अंकलीकर) के चतुर्थ पट्टाधीश आचार्यश्री सुनीलसागर जी की प्रेरणा से स्थापित आचार्य आदिसागर (अंकलीकर) अंतर्राष्ट्रीय जागृति मंच, मुंबई द्वारा जिनवाणी के प्रचार-प्रसार में उत्कृष्ट योगदान देने वाले विद्वानों, पत्रकारों, जैन विद्या के अनुसंधानकर्ताओं, समाजसेवियों, व्रती सेवकों और विधिक सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सन्मति महोत्सव वर्ष 2011-12 से सम्मानित करने हेतु पुरस्कारों की स्थापना की गई है। वर्ष 2024 के लिए छह प्रतिष्ठित पुरस्कारों हेतु प्रविष्टियाँ आमंत्रित की जा रही हैं। प्रत्येक पुरस्कृत व्यक्तित्व को 51,000 रुपये की नगद राशि, शाल-श्रीफल, प्रतीक चिह्न और प्रशस्तिपत्र प्रदान किया जाएगा।

प्रविष्टियाँ विहित प्रविष्टि-पत्र (प्रोफार्मा) में स्वयं या किसी प्रस्तावक के द्वारा डाक, ई-मेल से संयोजक- डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, 22/2, रामगंज, जिन्सी, इन्दौर-452 006 (म.प्र.), mkjainmanujbhoo@gmail.com मो 09826091247 के पते पर 15 सितम्बर तक भेजी जा सकती हैं। प्रविष्टि विहित-पत्र (प्रोफार्मा) और विवरण संयोजक से ई-मेल द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

पुरस्कार सूची:

  1. आचार्य आदिसागर (अंकलीकर) विद्वत् पुरस्कार:
    यह पुरस्कार जैन आगम साहित्य के पारंपरिक अध्येता/प्रवचन निष्णात/पुराविज्ञ/इतिहासज्ञ या भाषाशास्त्री को प्रदान किया जाएगा, जिन्होंने मुनिकुंजर आचार्य श्री आदिसागर अंकलीकर परंपरा के उन्नयन में विशेष योगदान दिया हो। इस पुरस्कार के पुण्यार्जक श्री जयंतीलाल जी भगवती जी विनोद जी रजावत उदयपुर परिवार हैं।
  2. आचार्य महावीरकीर्ति समाज सेवा राजनयिक पुरस्कार:
    यह पुरस्कार राजनेतिक, देश सेवा और समाज सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले राजनयिक को प्रदान किया जाएगा। इस पुरस्कार के पुण्यार्जक श्री सुमेरमल अजयकुमार अरविन्द कुमार चूड़ीवाल, कोलकाता हैं।
  3. आचार्य विमलसागर शोधानुसंधान पुरस्कार:
    यह पुरस्कार जैन विद्या की किसी भी विधा पर किये गए उच्चस्तरीय शोध कार्य पर प्रदान किया जाएगा। यह पुरस्कार किसी भी भारतीय भाषा में लिखे गए अप्रकाशित शोधप्रबंध को चयनित किये जाने पर प्रदान किया जाएगा। इस पुरस्कार के पुण्यार्जक श्री तेजपालजी सुरेन्द्र जी तलाटी, नरवाली परिवार, उदयपुर हैं।
  4. तपस्वीसम्राट् आचार्य सन्मतिसागर पत्रकारिता पुरस्कार:
    यह पुरस्कार जैन पत्रकारिता, संवाद संप्रेषण, जैन धर्म के प्रचार-प्रसार और अंकलीकर परंपरा के उन्नयन में विशेष योगदान देने वाले पत्रकार को प्रदान किया जाएगा। इस पुरस्कार के पुण्यार्जक श्री नरेंद्र जी, श्रीमती प्रेरणा जी, श्री प्राशु जी परिवार सागवाड़ा, राजस्थान हैं।
  5. आचार्य सुनीलसागर विधिक एवं लोक सेवा पुरस्कार:
    यह पुरस्कार विधिवेत्ता न्यायाधीश, उच्च अधिवक्ता और न्याय प्रणाली से जुड़े हुए समाज और लोक सेवा में उत्कृष्ट योगदान करने वाले व्यक्तित्व को प्रदान किया जाएगा। इस पुरस्कार के पुण्यार्जक सिंघई सतीषचंद्र केशरदेवी जैन जनकल्याण संस्थान, नैनागिरि, अध्यक्ष श्री सुरेश जैन (आईएएस), भोपाल हैं।
  6. प्रथमगणिनी आर्यिका श्री विजयमती त्यागी सेवा पुरस्कार:
    यह पुरस्कार श्रमण संघ, मुनि त्यागी व्रती की उत्कृष्ट सेवा के लिए प्रदान किया जाएगा। इस पुरस्कार के पुण्यार्जक श्री रिखबचंद जी अजित जी, श्री कमल जी कासलीवाल परिवार, सेलम हैं।

ये सभी पुरस्कार आचार्यश्री सन्मतिसागरजी महाराज के पट्टाधीश आचार्यश्री सुनीलसागरजी महाराज के सान्निध्य में भव्य समारोह में प्रदान किये जायेंगे।

महत्वपूर्ण निर्देश:

  1. शोधानुसंधान (3) पुरस्कार की प्रविष्टि हेतु शोधप्रबंध की एक प्रति पूरित प्रविष्टि-पत्र के साथ अनिवार्य रूप से संलग्न होनी चाहिए। जो शोधप्रबंध पूर्व में प्रविष्टि-पत्र के साथ भेज चुके हैं, उन्हें पुनः भेजने की आवश्यकता नहीं है। वे केवल प्रविष्टि पत्र के साथ उसका उल्लेख कर दें।
  2. निर्णायक मंडल का निर्णय अंतिम और सर्वमान्य होगा।
  3. पुरस्कार विषयक किसी भी निर्णय को चुनौती नहीं दी जा सकेगी।
  4. चयनित व्यक्तित्व यदि बिना किसी विशेष कारण से पुरस्कार समारोह में उपस्थित नहीं होते हैं, तो उनका पुरस्कार निरस्त कर द्वितीय स्थान पर चयनित योग्य व्यक्ति को प्रदान किया जा सकेगा।
  5. आचार्य श्री आदिसागर अंकलीकर परंपरा के उन्नयन में विशेष योगदान से संबंधित संलग्नक फार्म के साथ अलग से भेजा जाना चाहिए।
  6. किसी अन्य द्वारा प्रस्ताव भेजने की दशा में नामित व्यक्तित्व की सहमति आवश्यक है।


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