दो माह में पांच बार हुआ थाना दिवस का आयोजन, पर 43 में से 17 मामलों का ही हुआ निपटारा

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बेंगाबाद में बढ़ती जमीन विवाद के निपटारा के लिए थाना दिवस का आयोजन महज दिखावा साबित हो रहा है. थाना दिवस पर इंसाफ की उम्मीद लेकर आने वाले फरियादियों को अगली तिथि में सुनवाई का नोटिस लेकर जाना पड़ रहा है. ऑन स्पाॅट मामलों का निष्पादन अंचल विभाग में कछुआ गति से हो रहा है. ऐसे में थाना दिवस का आयोजन इंसाफ के बजाय खानापूर्ति साबित होने लगा है.

अब भी 26 मामले लंबित :

जून माह में 13 जून को आयोजित थाना दिवस में आठ मामले आये, जिसमें तीन मामले का निष्पादन हुआ जबकि पांच मामलों को अगली तिथि के लिए नोटिस दिया गया. वहीं 27 जून को चार मामलों में एक मामला का निष्पादन किया गया. बाकी तीन के आवेदकों को अगली तिथि मिली. इसी तरह जुलाई माह में चार जुलाई को आयोजित थाना दिवस में आठ में चार मामलों का निष्पादन हुआ और वहीं चार को अगली तिथि मिली. 11 जुलाई को थाना दिवस में नौ में से पांच मामले निपटाये गये, जबकि चार को अगली तिथि मिली. 25 जुलाई को थाना दिवस में 14 मामले आये, जिसमें चार मामले निपटाये गये. इस तरह जून और जुलाई माह में पांच बार आयोजित थाना दिवस में कुल 43 आवेदन आये, जिसमें से 17 मामले का निपटारा हुआ जबकि 26 मामलों के आवेदकों को अगली तिथि को दस्तावेज के साथ आने की बात कही गयी.

सीओ की अनुपस्थिति में राजस्व कर्मचारी उलझाते हैं मामले

आवेदकों के अनुसार प्रत्येक थाना दिवस पर स्वयं अंचल अधिकारी उपस्थित नहीं हो पाते हैं. उनके स्थान पर अंचल निरीक्षक या राजस्व कर्मचारी थाना दिवस पर मोर्चा संभालते हैं. ऐसे में सुलहनीय मामलों को भी उलझाने का काम होता है. थाना दिवस में दोनों पक्षों के साथ-साथ कुछ जनप्रतिनिधि भी आते हैं जो किसी पक्ष विशेष की तरफ झुकाव रखते हैं, जो मामला को अगली नोटिस की ओर ले जाने में सफल होते हैं. इस स्थिति में वास्तविक आवेदकों को इंसाफ में देर हो रही है. इधर थाना दिवस के आयोजन से आवेदकों को इंसाफ नहीं मिलने में सरकारी अमीन की अनुपलब्धता भी बाधक बन रही है. कई बार अमीन के ऊपर ही सवाल उठ जाते हैं. पूर्व मुखिया रंजीत मरांडी, अजीत सिंह, छोटेलाल, दिनेश वर्मा सहित अन्य का कहना है कि थाना दिवस में स्वयं अंचल अधिकारी उपस्थित होकर वैसे आवेदकों को ही बुलाये, जिनके पास पर्याप्त दस्तावेज है ताकि ऑन स्पॉट निराकरण हो सके और पीड़ित को इंसाफ मिले. इधर सीआइ अशोक दास का कहना है कि जमीन विवाद के निष्पादन में कई बिन्दुओं का ख्याल रखना पड़ता है, जिसके कारण विलंब होता है.

सरकारी जमीन के लिए उलझ रहे थे चार आवेदकों को लगा झटका

बेंगाबाद थाना में गुरुवार को आयोजित थाना दिवस में भंडारीडीह पंचायत के दिघरिया गांव स्थित एक सरकारी जमीन पर दावेदारी करते हुए चार लोग आपस में उलझ रहे थे. चारों ने बेंगाबाद अंचल में आवेदन न्याय मांगा था. मामला थाना दिवस में पहुंच गया. गुरुवार को दावेदार भैरव रजक, तैबुन निशा, आशा देवी और भगु सिंह इंसाफ के लिए थाना दिवस पर पहुंचे. चारों को अंचल अधिकारी प्रियंका प्रियदर्शी ने दस्तावेज दिखाने को कहा. भैरव रजक और तैबुन निशा के पास उक्त भूमि की जमाबंदी से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं होने के कारण दोनों को पहले ही राउंड में दावेदारी से बाहर कर दिया गया. दूसरे राउंड में आशा देवी और भगु सिंह ने दस्तावेज प्रस्तुत किये. जांच में पता चला कि जिस जमीन पर विवाद है, वह सरकारी भूमि है, लेकिन दोनों के पास साक्ष्य के लिए पर्याप्त दस्तावेज नहीं है. फर्जी तरीके से तैयार दस्तावेज के सहारे सरकारी भूमि पर कब्जा का मामला सामने पाया गया. सीओ ने फैसला सुनाते हुए भगु सिंह और आशा देवी को जमीन से बेदखल करार दिया और जमाबंदी निरस्त करने के लिए 4 (एच) के तहत विभाग के पास पत्राचार का प्रस्ताव लिया गया. वहीं सरकारी जमीन को सीमांकन कर कब्जा में लेने की बात अंचलकर्मियों ने की है. मौके पर थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार सिंह, सीआई अशोक दास, राजस्व कर्मचारी विजय कुमार मुर्मू, सुरेंद्र यादव उपस्थित थे.

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