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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यूक्रेन ने कहा है कि बुधवार को रूस ने कीव पर कई ड्रोन हमले किए। उन्होंने कहा कि यह यूक्रेन को निशाना बनाकर किए गए अपने तरह के सबसे बड़े हमलों में से एक था, जिससे यूक्रेन की राजधानी को लगभग पूरी रात हवाई हमले के लिये अलर्ट पर रखा गया। उन्होंने कहा कि कीव के सैन्य प्रशासन के प्रमुख सेरही पोपको ने कहा है कि 90 के आसपास ड्रोन हमले किये गये और यूक्रेन की वायु रक्षा प्रणालियों ने 30 से अधिक ड्रोन नष्ट कर दिए। उन्होंने कहा कि जुलाई माह में यह कीव पर रूस का सातवां हमला था। उन्होंने कहा कि रूसी राज्य समाचार एजेंसियों ने बताया कि हमलों ने पूरे यूक्रेन में कई सैन्य हवाई अड्डों और सैन्य गोदामों को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि बताया जा रहा है कि शहर पर हमला कई दिशाओं से हुआ।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक यूक्रेन की भारत और चीन के साथ बढ़ते नजदीकी रिश्तों की बात है तो वह इसलिए भी हैं कि उन्होंने यह देख लिया है कि सिर्फ अमेरिका, नाटो या यूरोपीय देशों की बदौलत ही काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को समझ आ गया है कि अमेरिका में अगर राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप जीत गये तो पहले की तरह सैन्य और आर्थिक मदद नहीं मिल पायेगी। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका ने मदद में कटौती की तो नाटो के अन्य देश भी ऐसा ही करेंगे। इसलिए जेलेंस्की अब चाहते हैं कि इस युद्ध का कोई हल निकले। उन्होंने कहा कि वह जानते हैं कि रूस को मनाने का काम उसके दो मित्र देश भारत और चीन कर सकते हैं इसलिए वह इनकी ओर देख रहे हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि युद्ध के दौरान पहली बार यूक्रेन के विदेश मंत्री ने चीन की यात्रा की है जोकि अपने आप में बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन ने चीनी विदेश मंत्री और राष्ट्रपति को अपने देश की यात्रा पर आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि चीन पहले भी दोनों देशों के बीच शांति वार्ता का प्रस्ताव रख चुका है जिस पर बात आगे नहीं बढ़ पाई थी। उन्होंने कहा कि चीन ने यूक्रेन पर क्रेमलिन के 29 महीने पुराने आक्रमण के मुद्दे पर खुद को तटस्थ बताया है, लेकिन मॉस्को के साथ उसने घनिष्ठ संबंध बनाए रखा है। उन्होंने कहा कि चीन ने जून में कीव द्वारा आयोजित शांति शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा नहीं लिया था। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मिलने के लिए पिछले सप्ताह चीन की यात्रा की थी। उन्होंने कहा कि यह एक और संकेत है कि कीव और बीजिंग के बीच बातचीत “बहुत गतिशील रूप से विकसित हो रही है।”
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की और शी जिनपिंग के बीच संभावित बैठक की दिशा में भी काम निरंतर जारी है। उन्होंने कहा कि वैसे युद्ध शुरू होने के बाद से, दोनों ने केवल एक बार अप्रैल 2023 में टेलीफोन पर बात की है। उन्होंने कहा कि यूक्रेनी विदेश मंत्री ने चीनी विदेश मंत्री को यूक्रेन की यात्रा के लिए आमंत्रित किया है और बीजिंग ने संकेत दिया है कि उसे इस निमंत्रण में दिलचस्पी है। उन्होंने कहा कि यूक्रेनी विदेश मंत्री चीन से कह कर आये हैं कि उनका देश रूस के साथ युद्ध पर बातचीत के लिए तभी तैयार होगा जब यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का पूरा सम्मान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हालांकि अभी देखना होगा कि चीन का यूक्रेन मुद्दे पर क्या रुख रहता है क्योंकि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन ने रूस को राजनयिक समर्थन प्रदान किया है और उसकी युद्धकालीन अर्थव्यवस्था को चालू रखने में मदद की है।
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