[ad_1]
हाल ही में टीवी एक्ट्रेस हिना खान को भी तीसरी स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर डिटेक्ट हुआ है जिसके लिए वे कीमोथेरेपी ले रही हैं. भारत में अलग-अलग उम्र की ऐसी सैकड़ों महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की अलग-अलग स्टेजेस से जूझ रही हैं. हालांकि हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि जितना जल्दी कैंसर का पता चल जाता है, उतना ही आसान और बेहतर इसका इलाज होता है.
ये भी पढ़ें
आइए एम्स स्थित डॉ. बीआर अंबेडकर इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर अस्पताल के पूर्व हेड और जाने माने रेडियो ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. जीके रथ से जानते हैं ब्रेस्ट कैंसर की कौन-कौन सी स्टेज होती हैं और इनमें मरीज के ठीक होने की कितनी संभावना होती है?
ये होती हैं कैंसर की चार स्टेज
स्टेज-1 कैंसर
इस स्टेज में कैंसर छोटा होता है और अक्सर ब्रेस्ट टिश्यू में ही होता है. कुछ लोगों में यह ब्रेस्ट के नजदीकी लिम्फ नोड्स के आसपास भी हो सकता है. इसका इलाज ज्यादा आसान होता है और इलाज के बाद मरीज के पूरी तरह ठीक होने की संभावना 90 फीसदी होती है.
स्टेज-2 कैंसर
ब्रेस्ट कैंसर की दूसरी स्टेज भी इसके इसके पता चलने की अर्ली स्टेज होती है, इस स्टेज में भी कैंसर का इलाज अच्छे ढंग से हो सकता है. इस दौरान कैंसर के टिश्यू ब्रेस्ट के अलावा उसके आसपास के लिम्फ नोड्स में भी फैले हो सकते हैं. इसमें मरीज के ठीक होने की संभावना 80 फीसदी होती है.
स्टेज 3 कैंसर
ब्रेस्ट कैंसर की तीसरी स्टेज एडवांस स्टेज है, इसमें कॉम्प्लिकेशंस बढ़ जाते हैं. इसमें कैंसर सेल्स ब्रेस्ट और ब्रेस्ट की नजदीकी करीब 10 लिम्फ नोड्स तक भी फैल चुकी होती हैं. इसके अलावा ब्रेस्ट की त्वचा और चेस्ट की दीवार तक भी कैंसर का विस्तार हो चुका होता है. इस दौरान डॉक्टरों को तय करना होता है कि उन्हें कौन सा इलाज करना है. इस स्थिति में 60 से 70 फीसदी मरीज को ठीक करने के चांसेज होते हैं.
स्टेज-4 कैंसर
यह ब्रेस्ट कैंसर की आखिरी स्टेज है और इसमें बीमारी खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी होती है. इसका मतलब होता है कि कैंसर ब्रेस्ट, लिम्फ नोड्स के अलावा शरीर के अन्य ऑर्गन्स जैसे हड्डियों और फेफड़ों तक पहुंच चुका होता है. इसमें मरीज को बचाने के लिए तीव्र गति से इलाज देने की जरूरत पड़ती है. इसमें मरीज के बचने की संभावना 40 फीसदी या उससे कम होती है.
सेल्फ एग्जामिनेशन है बचाव का एकमात्र तरीका
डॉ. जीके रथ कहते हैं किआज ब्रेस्ट कैंसर का बेहतरीन इलाज मौजूद है. लेकिन इस कैंसर का कोई प्रिवेंशन नहीं है. न ही कोई वैक्सीन है. ऐसे में सबसे जरूरी है कि इसका अर्ली डिटेक्शन हो सके, ताकि मरीज की ब्रेस्ट को बिना नुकसान पहुंचे भी इलाज हो सके और मरीज ठीक हो सके. इसलिए महिलाएं कोशिश करें कि हर महीने ब्रेस्ट का सेल्फ एग्जामिनेशन करें. वे ब्रेस्ट और आसपास के हिस्से, अंडरआर्म में जांचें कि कोई गांठ या दर्द तो नहीं है. निप्पल से कोई रिसाव तो नहीं है. ब्रेस्ट का आकार असामान्य तो नहीं हो रहा. ब्रेस्ट लाल या सूजन जैसा कुछ तो नहीं है. ऐसा करने से कैंसर को जल्द से जल्द पकड़ पाना और फिर इलाज ले पाना संभव है.
ये भी पढ़ें
Tags: Aiims delhi, Breast Cancer Se Jung, Health News
FIRST PUBLISHED : July 4, 2024, 20:52 IST
[ad_2]
Source link
Discover more from सच्चा दोस्त न्यूज़
Subscribe to get the latest posts sent to your email.