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जन्म के बाद मीना को अनाथालय में छोड़ दिया गया था!
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त 1933 को अली बक्स और इकबाल बेगम के घर महजबीं बानो नाम से हुआ था। मीना का जन्म उनके पिता को बिल्कुल पसंद नहीं आया, क्योंकि अली बक्स एक बेटा चाहते थे। मीना के जन्म के बाद उन्हें अनाथालय में छोड़ दिया गया, लेकिन कुछ घंटों बाद उन्होंने अपना मन बदल लिया और उन्हें वापस घर ले गए। वह अली और इकबाल की दूसरी बेटी थीं और उनकी दो और बहनें थीं। बड़ी बहन का नाम खुर्शीद जूनियर और छोटी बहन का नाम महलिका था।
मीना ने चार साल की उम्र में अपनी पहली फिल्म की मीना कुमारी को कभी भी फिल्मों का शौक नहीं था और न ही उन्होंने कभी फिल्मों में अभिनय करने के बारे में सोचा था क्योंकि मीना को शुरू से ही स्कूल जाना और पढ़ाई करना पसंद था। इसके बावजूद उनके माता-पिता उन्हें काम के अवसरों के लिए फिल्म स्टूडियो में ले जाते थे। निर्देशक विजय भट्ट ने मीना को फिल्म ‘लेदरफेस’ में कास्ट किया और काम के पहले दिन उन्हें 25 रुपये दिए गए। ‘लेदरफेस’ 1939 में रिलीज हुई थी।
मीना ने यह फिल्म महज 4 साल की उम्र में की थी। फिल्म के बाद मीना का दाखिला स्कूल में करा दिया गया, लेकिन फिल्मों में काम करने की वजह से मीना को कई बार अपनी क्लास छोड़नी पड़ी। मीना के पिता मास्टर अली बक्स एक सुन्नी मुसलमान थे जो भेरा (अब पाकिस्तान में) से पलायन करके आए थे। वे पारसी थिएटर के दिग्गज थे, हारमोनियम बजाते थे, उर्दू शायरी लिखते थे, संगीत तैयार करते थे और कुछ फिल्मों में छोटे-मोटे रोल भी करते थे। कुमारी की मां इकबाल बेगम, जिनका मूल नाम प्रभावती देवी था, एक ईसाई थीं, जिन्होंने अपनी शादी के बाद इस्लाम धर्म अपना लिया था। इकबाल बेगम अली बक्स की दूसरी पत्नी थीं। अली बक्स से मिलने और शादी करने से पहले, वह एक स्टेज अभिनेत्री थीं और कहा जाता था कि उनका संबंध बंगाल के टैगोर परिवार से था।
विजय भट्ट ने मीना का नाम ‘बेबी मीना’ रखा
मीना कुमारी ने शुरुआत में विजय भट्ट के ज़्यादातर प्रोडक्शन में काम किया, जिसमें लेदर फेस, अधूरी कहानी, पूजा और एक ही भूल जैसी फ़िल्में शामिल हैं। विजय भट्ट ने फ़िल्म ‘एक ही भूल’ के दौरान मेहजबीन बानो यानी मणि कुमारी का नाम बदलकर “बेबी मीना” रख दिया था। रमणीक प्रोडक्शन की फ़िल्म ‘बच्चों का खेल’ मीना कुमारी के नाम पर ही कास्ट की गई थी। मीना कुमारी की जिंदगी में सबसे बड़ा सदमा उनकी मां की मौत थी, जिनका निधन 25 मार्च 1947 को हुआ था। मीना ने ‘दुनिया एक सराय’, ‘पिया घर आजा’ और ‘बिछड़े बालम’ समेत कई फिल्मों में एक्टिंग और गाने भी गाए थे। 1940 के दशक के अंत तक उन्होंने अपना ध्यान पौराणिक या काल्पनिक फिल्मों की ओर मोड़ लिया था। मीना को असली पहचान फिल्म ‘बैजू बावरा’ से मिली थी।
लीवर सिरोसिस से पीड़ित थीं मीना, अधूरा रह गया प्यार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1968 में मीना कुमारी को पता चला कि वह लीवर सिरोसिस से पीड़ित हैं। 31 मार्च 1972 को उनकी मौत हो गई। उनकी मौत के बाद उनकी बेहद करीबी दोस्त एक्ट्रेस ने मीना के अंतिम संस्कार का खर्च उठाया। कहा जाता है कि जब मीना का अस्पताल का खर्च हद से ज्यादा बढ़ गया तो उनके पूर्व पति कमाल अमरोही गायब हो गए। कहा जाता है कि मीना कुमारी की जिंदगी में धर्मेंद्र का खास स्थान था।
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