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आशुतोष राणा की दमदार भूमिका
सीरीज में प्रोफेसर आशुतोष राणा ने एक महत्वपूर्ण किरदार निभाया है. कहानी एक रेलवे प्लेटफॉर्म से शुरू होती है, जहां एक कोने वाले बाथरूम का इस्तेमाल रेड लाइट एरिया की तरह होता है. लेकिन अचानक वहां एक कटी-पिटी लाश मिलती है, जिससे पूरी कहानी में हड़कंप मच जाता है.
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किडनी चोरी का मामला
लाश की जांच के दौरान पता चलता है कि मृतक की किडनी गायब है. दीवार पर खून से कुछ लिखा हुआ है, जिससे पता चलता है कि अगला शिकार कौन होगा. यह मामला पुलिस के लिए एक खुला चैलेंज बन जाता है.
भूतिया एंगल और पुलिस की जांच
कहानी में एक और ट्विस्ट तब आता है जब एक लड़का बिल्डिंग से कूदकर आत्महत्या कर लेता है. पुलिस की ड्यूटी है लोगों की जान बचाना, लेकिन इस बार खुद पुलिस भी कटघरे में खड़ी है. यह लड़का शायद अपनी आत्मा से बदला लेने आया है.
दिमागी लड़ाई का असली मजा
विजयराज और आशुतोष राणा की अदाकारी ने इस शो को और भी शानदार बना दिया है. इनके हर सीन में दर्शकों को एक नया ट्विस्ट देखने को मिलता है. खासकर जब ये दोनों आमने-सामने आते हैं, तब दिमागी लड़ाई का असली मजा आता है.
मर्डर मिस्ट्री की तगड़ी कहानी
‘मर्डर इन माहीम’ की कहानी इतनी तगड़ी है कि हर एपिसोड के अंत में आपको सस्पेंस का एक नया लेवल देखने को मिलेगा. शो के आखिरी 10 मिनट में आप सोच भी नहीं सकते कि मास्टरमाइंड कौन हो सकता है.
फैमिली ऑडियंस के लिए खास
शो में रेड लाइट एरिया का एंगल जरूर है, लेकिन इसे बहुत ही सटीक तरीके से पेश किया गया है. यह शो फैमिली ऑडियंस के लिए भी उपयुक्त है. इसमें कोई डबल मीनिंग डायलॉग्स नहीं हैं, और कंटेंट बहुत ही क्लीन है.
‘मर्डर इन माहीम’ का क्लाइमैक्स बहुत ही अनएक्सपेक्टेड है,अगर आप एक तगड़ी मर्डर मिस्ट्री देखना चाहते हैं, तो यह शो आपके लिए परफेक्ट है.इस शो को देखने के लिए आपको बास जिओ सिनेमा पर जाना हैं, आठ एपिसोड का ये शो बेहद इंट्रेस्टिंग और ग्रिपिंग है.
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