Monday, December 1

गाजा संकट के बीच पीएम मोदी का संभावित जॉर्डन-ओमान दौरा, दिसंबर में हो सकती है यात्रा

नई दिल्ली। पश्चिम एशिया में जारी तनाव और गाजा में युद्धविराम की कवायद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिसंबर के मध्य में जॉर्डन और ओमान की यात्रा पर जा सकते हैं। यह दौरा ऐसे समय में प्रस्तावित है जब भारत क्षेत्र में शांति प्रयासों का लगातार समर्थन कर रहा है और अपनी सामरिक साझेदारियों को मजबूत करने पर फोकस बढ़ा रहा है।

ओमान के साथ FTA पर मुहर की उम्मीद

पीएम मोदी का यह दौरा कई वजहों से अहम माना जा रहा है। भारत और ओमान के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत पूरी हो चुकी है और अब केवल औपचारिक हस्ताक्षर बाकी हैं। अगर ओमान अपनी घरेलू प्रक्रियाएं समय पर पूरी कर लेता है, तो यह समझौता पीएम मोदी की यात्रा का मुख्य आकर्षण हो सकता है।
प्रधानमंत्री ने आखिरी बार 2018 में ओमान का दौरा किया था।

जॉर्डन: क्षेत्रीय शांति में अहम साझेदार

जॉर्डन को लेकर भी यह यात्रा कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। पीएम मोदी ने 2018 में फिलिस्तीन यात्रा के दौरान जॉर्डन में रुककर किंग अब्दुल्ला द्वितीय से मुलाकात की थी। भारत गाजा में युद्धविराम और बंधकों की रिहाई का समर्थन करता रहा है। माना जा रहा है कि किंग अब्दुल्ला और ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक के साथ बातचीत में गाजा मुद्दा प्रमुख एजेंडा रहेगा।

पहलगाम हमले पर दोनों देशों की प्रतिक्रिया

इस वर्ष की शुरुआत में पहलगाम आतंकी हमले पर जॉर्डन और ओमान ने कड़ी निंदा की थी। जॉर्डन के किंग ने पीएम मोदी से फोन पर बात कर संवेदना प्रकट की थी और आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की वकालत की थी।

रणनीतिक व आर्थिक साझेदारी का विस्तार

ओमान खाड़ी क्षेत्र में भारत का सबसे करीबी रक्षा साझेदार माना जाता है। भारत तीनों सेनाओं के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास करने वाला वह पहला खाड़ी देश है। ऊर्जा, रक्षा और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग तेजी से बढ़ रहा है।

जॉर्डन भी India–Middle East–Europe Economic Corridor में एक प्रमुख ट्रांजिट कंट्री बनने की इच्छा रखता है। 2023-24 में भारत जॉर्डन का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा और द्विपक्षीय व्यापार 2.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया।

भारत के लिए क्यों अहम है यह दौरा

विशेषज्ञों के अनुसार, पीएम मोदी का यह प्रस्तावित दौरा पश्चिम एशिया के साथ भारत की रणनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक साझेदारियों को गहराई देने का महत्वपूर्ण अवसर होगा। गाजा संकट के बीच क्षेत्रीय नेतृत्व के साथ संवाद भारत की रचनात्मक भूमिका को और मजबूत कर सकता है।

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