
नई दिल्ली। भारत और अमेरिका ने शुक्रवार को 7,995 करोड़ रुपये की एक महत्वपूर्ण रक्षा डील पर हस्ताक्षर किए। यह करार भारतीय नौसेना के अत्याधुनिक एमएच-60आर मल्टी-रोल हेलीकॉप्टरों के रखरखाव, स्पेयर पार्ट्स, प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता को सुदृढ़ करेगा। समझौते पर हस्ताक्षर रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की उपस्थिति में किए गए।
हेलीकॉप्टरों के लिए व्यापक सपोर्ट पैकेज
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह समझौता फॉरेन मिलिटरी सेल्स (FMS) कार्यक्रम के तहत किया गया है। इसके तहत नौसेना के हेलीकॉप्टर बेड़े को फॉलो-ऑन सपोर्ट पैकेज, स्पेयर्स, सपोर्ट उपकरण, प्रोडक्शन सपोर्ट, तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा।
समझौते में जरूरी पुर्जों की मरम्मत, पुनः-आपूर्ति तथा भारत में इंटरमीडिएट लेवल रिपेयर और पीरियॉडिक मेंटेनेंस सुविधाओं की स्थापना भी शामिल है।
आत्मनिर्भरता और नौसेना की क्षमता में बड़ा इजाफा
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि देश में इन सुविधाओं का विकास भारत की दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगा और कई महत्वपूर्ण सैन्य सपोर्ट सिस्टम के लिए अमेरिका पर निर्भरता कम करेगा। इससे भारतीय एमएसएमई और रक्षा कंपनियों के लिए नए अवसर भी पैदा होंगे।
एमएच-60आर हेलीकॉप्टर दुनिया के सबसे उन्नत एंटी-सबमरीन वॉरफेयर प्लेटफॉर्म्स में शामिल हैं। इस सपोर्ट पैकेज के बाद इन हेलीकॉप्टरों की ऑपरेशनल उपलब्धता, मेंटेनबिलिटी और विश्वसनीयता में उल्लेखनीय सुधार होगा।
इसके साथ ही नौसेना अब इन हेलीकॉप्टरों का संचालन विभिन्न तटीय ठिकानों और युद्धपोतों से और अधिक प्रभावी ढंग से कर सकेगी।
समुद्री रक्षा ढांचे को मिलेगा दीर्घकालिक लाभ
विशेषज्ञों के अनुसार, यह समझौता भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमता को अगले कई वर्षों तक मजबूती देगा। समुद्री सुरक्षा, एंटी-सबमरीन मिशन और तटीय निगरानी में एमएच-60आर बेड़े की तैनाती क्षमता और भी प्रभावशाली होगी।
यह डील भारत के मजबूत, आधुनिक और आत्मनिर्भर समुद्री रक्षा ढांचे की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।