Monday, December 1

सक्सेस स्टोरी: अब्दुल कलाम का मिला साथ, पानी से चलने वाले इंजन का सपना… और कंपनी ने भर दी अंतरिक्ष की उड़ान

नई दिल्ली: सपने तभी पूरे होते हैं, जब उन्हें पूरा करने की जिद रातों की नींद तक छीन ले। यही जिद रोहन गणपती और उनके साथी यशस करणम में थी, जिन्होंने अंतरिक्ष में इस्तेमाल होने वाला ऐसा इंजन बनाने की ठानी, जो ईंधन के तौर पर पानी का उपयोग करे। इसी सपने ने जन्म दिया बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस को—एक ऐसी भारतीय स्टार्टअप कंपनी, जिसने अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है।

🌟 रोहन का सपना और कलाम का हाथ

रोहन गणपती ने साल 2012 में कोयंबटूर के हिंदुस्तान कॉलेज में पढ़ाई के दौरान एक अनोखी इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन तकनीक विकसित करने का विचार रखा। यह तकनीक अंतरिक्ष यान में पानी से प्रोपल्शन देने की क्षमता रखती थी।
उनका यह रिसर्च उन्हें नासा तक ले गया, जहाँ उन्होंने अपना पेपर दुनिया के प्रमुख वैज्ञानिकों के सामने प्रस्तुत किया।

भारत लौटने पर उनकी यह उपलब्धि अखबारों में छपी और खबर पढ़कर प्रभावित हुए पूर्व राष्ट्रपति और भारत के महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम। न सिर्फ उन्होंने रोहन की तारीफ की बल्कि एक सिफारिश पत्र भी दिया, जिसने JSW स्टील से कंपनी को पहला ग्रांट दिलवाया। यही वह चिंगारी थी जिसने स्टार्टअप को उड़ान दी।

🚀 कॉलेज के शेड से अंतरिक्ष तक

रोहन को एक ऐसे साथी की जरूरत थी जो बिजनेस संभाल सके। यही वक्त था जब परिवार के दोस्त यशस करणम इस यात्रा में शामिल हुए। दोनों ने मिलकर एक छोटे से शेड से शुरुआत की।

आइडिया को साबित करने के लिए 130 प्रयोग किए गए। मेहनत रंग लाई जब यशस की मुलाकात इसरो के तत्कालीन चेयरमैन ए.एस. किरण कुमार से हुई। कंपनी का प्रोटोटाइप देखकर वे भी चकित रह गए और इस तकनीक में रुचि दिखाई। इसरो ने थ्रस्टर्स का ऑर्डर देने का फैसला किया, लेकिन एक शर्त पर—कंपनी का आधिकारिक रजिस्ट्रेशन जरूरी था।
इसी के बाद साल 2015 में बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस की औपचारिक स्थापना हुई।

🛰️ दुनिया की अनोखी तकनीक, दो राष्ट्रीय पुरस्कार

आज बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस भारत की पहली निजी कंपनी है जिसने—

  • हाई-परफॉर्मेंस ग्रीन प्रोपल्शन सिस्टम
  • इंटीग्रेटेड हीटर-लेस हॉलो कैथोड
    जैसी उन्नत अंतरिक्ष तकनीक का निर्माण किया है।

जो तकनीक पहले विदेशों से आयात करनी पड़ती थी, उसे स्वदेशी बनाकर कंपनी ने भारत को बड़ा गौरव दिलाया। इसके लिए कंपनी को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्वारा दो राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले।

💰 करोड़ों का टर्नओवर

यशस करणम बताते हैं—

  • शुरुआती फंडिंग: 20 लाख रुपये
  • कुल शुरुआती निवेश: 2 से 2.5 करोड़ रुपये
  • फंडिंग सपोर्ट: कई संस्थानों से निरंतर मिला

आज कंपनी की कमाई तेजी से बढ़ रही है।
वित्त वर्ष 2025 में कंपनी का ऑपरेशनल रेवेन्यू 10 लाख डॉलर (करीब 89 करोड़ रुपये) रहा।
वित्त वर्ष 2026 के लिए कंपनी चार गुना वृद्धि का लक्ष्य रख रही है।

🌠 भारत की नई अंतरिक्ष शक्ति

एक छोटे शेड से शुरू हुई यह यात्रा आज भारत को वैश्विक स्पेस इंडस्ट्री में नए मुकाम पर पहुंचा रही है।
रोहन और यशस की कहानी इस बात का प्रमाण है कि—
सपने बड़े होने चाहिए, उन्हें पूरा करने का साहस और मेहनत उससे भी बड़ी।

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