
इंदौर (एसडी न्यूज़ एजेंसी)। मध्य प्रदेश में निजी स्कूलों की मान्यता प्रक्रिया को लेकर गंभीर आरोप सामने आए हैं। निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्रदेश सरकार को भारी राजस्व हानि हुई है, जबकि पंजीयन विभाग भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है।
स्कूल मान्यता के नियमों में बदलाव से बढ़ी परेशानी
निजी स्कूलों को मान्यता देने के लिए यह नियम है कि किरायेदारी दस्तावेज संलग्न किया जाए। पंजीयन विभाग के नियमों के अनुसार, 11 माह से अधिक समय की किरायेदारी को रजिस्टर्ड कराना आवश्यक है और इसके लिए स्टांप ड्यूटी एवं पंजीयन शुल्क चुकाया जाता है।
स्कूल संचालकों का आरोप है कि पहले शिक्षा विभाग के अधिकारी बिना रजिस्टर्ड किरायेदारी के भी मान्यता का नवीनीकरण (रिन्यूअल) कर देते थे, लेकिन अब नियमों में बदलाव कर दिया गया है।
इस बदलाव के कारण कई निजी स्कूलों को किरायेदारी दस्तावेज रजिस्टर्ड कराने में कठिनाई हो रही है। फलस्वरूप कई स्कूल तय समय पर मान्यता के लिए आवेदन नहीं कर पाए, जिससे उनकी मान्यता रद्द हो गई। इस स्थिति से सैकड़ों छात्रों का भविष्य संकट में पड़ गया है और अभिभावक भी चिंतित हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने उठाए सवाल, आर्थिक अपराध की जांच की मांग
इस पूरे मामले पर मप्र कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता एडवोकेट प्रमोद कुमार द्विवेदी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने राजस्व की हानि पहुंचाई है, इसलिए उनके खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) में प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि पंजीयन विभाग के अधिकारी भी इस राजस्व हानि के लिए जिम्मेदार हैं और उन पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए।
द्विवेदी ने सरकार से सवाल किया कि “जब आम नागरिक से कोई गलती होती है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाती है और संपत्ति तक जब्त कर ली जाती है। लेकिन जब सरकार के दो विभाग खुद राजस्व की हानि पहुंचा रहे हैं, तब सरकार चुप क्यों है?”
सरकार और अधिकारियों की भूमिका पर उठे सवाल
यह मामला मध्य प्रदेश सरकार के सुशासन और पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े कर रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता द्विवेदी ने इसे सरकार और अधिकारियों की मिलीभगत करार दिया और कहा कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, ताकि दोषियों को सजा मिल सके।
अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और शिक्षा विभाग एवं पंजीयन विभाग के अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की जाती है।
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